क्लाउड सीडिंग द्वारा रामगढ़ झील को पुनर्जीवित कर जल संकट दूर करना ही हमारी प्राथमिकता : डॉ. किरोडीलाल मीणा

जयपुर। जवमारामगढ़ बांध के इलाके में मंगलवार को ड्रोन से कृत्रिम बारिश करवाने की कार्यवाही शुरु की गई। क्लाउड सीडिंग के माध्यम से करवाई जा रही कृत्रिम वर्षा को देखने के लिए भीड़ अनुमान से अधिक आई। इस दौरान ड्रोन को उड़ाने का प्रयास भी किया गया लेकिन भीड़ अधिक होने से नेटवर्क जाम हो गया, जिससे जीपीएस सिंगल लॉस होने से ड्रोन ऑटो लैंडिंग मोड में आ जाने के कारण लेंड हो गया। इसके बाद भीड़ कम होने के बाद कृषि मंत्री के सामने ड्रोन द्वारा 400 फीट की हाइट तक डेमो सफलतापूर्वक दिया गया।

कृत्रिम बारिश के लिए वैज्ञानिकों की टीम जयपुर में है। जो लगातार अपने स्तर पर ड्रोन से कृत्रिम बारिश का परीक्षण कर रहे हैं। इस मौके पर डॉ. किरोडीलाल मीणा ने कहा कि इस क्लाउड सीडिंग का मुख्य उद्देश्य रामगढ़ झील को पुनर्जीवित करना, जल संकट को कम करना और क्षेत्र में पारिस्थितिकी तंत्र संतुलन बहाल करना है। यह एक अनुसंधान एवं विकास आधारित पायलट प्रोजेक्ट है, जिसमें आधुनिक ड्रोन बेस्ड क्लाउड सीडिंग तकनीक और एआई का उपयोग कर वर्षा को वैज्ञानिक तरीके से बढ़ावा दिया जाएगा। 

भारत में पहली बार ड्रोन बेस्ड क्लाउड सीडिंग की जा रही है। इसमें ‘हाइड्रो ट्रेस’ नाम का एआई पावर्ड प्लेट फॉर्म इस्तेमाल हो रहा है, जो रियल टाइम डेटा, सेटेलाइट इमेजिंग और सेंसर नेटवर्क की मदद से सही समय और सही बादलों को टारगेट करता है। यह 30 दिनों तक चलने वाला पायलट मिशन है। 

उन्होंने बताया कि ड्रोन बेस्ड क्लाउड सीडिंग में ड्रोन को बादलों के पास भेजा जाता है, जहां यह सोडियम क्लोराइड या अन्य सुरक्षित सीडिंग ऐजेंट्स छोड़ता है। इससे बादलों में मौजूद नमी के कण आपस में मिलकर पानी की बूंदों में बदल जाते हैं और बारिश होती है। यह मिशन 12 अगस्त से शुरु होकर लगभग 60 दिनों तक चलेगा शुरुआती प्रभाव हमें तुरंत बारिश के रूप में दिखेगा, लेकिन लंबे समय में इसका असर झील के जल स्तर, भुमिगत जल भंडार और कृषि उत्पादन पर पड़ेगा। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!