सांस्कृतिक धरोहर और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने में युवा पीढ़ी की भूमिका महत्वपूर्ण : स्मृति ईरानी

12 राज्यों से 50 से अधिक विमेन आर्टिजंस और एंटरप्रेन्योर्स के शिल्प का प्रदर्शन, 8 मार्च तक होगा आयोजन

जयपुर। हमारी सांस्कृतिक धरोहर को रिटेल इंडस्ट्री से जोड़कर रखेंगे, तो न केवल आने वाली पीढ़ी इसे आगे बढ़ाएगी, बल्कि हम इसे वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान दिला पाएंगे। हैंडिक्राफ्ट का अंतरराष्ट्रीय बाजार लगभग एक हजार बिलियन डॉलर का है, लेकिन भारत की वर्तमान भूमिका इस बाजार में 2023-2024 के आंकड़ों के अनुसार केवल 32 हजार करोड़ रुपए है। यह एक क्षेत्र है जिसमें हम और अधिक योगदान कर सकते हैं। यह बात पूर्व केंद्रीय मंत्री, महिला एवं बाल विकास, स्मृति ईरानी ने गुरुवार को सिटी पैलेस में प्रिंसेस दीया कुमारी फाउंडेशन (पीडीकेएफ) द्वारा आयोजित हो रहे ‘पीडीकेएफ आर्टिजन कलेक्टिव’ के उद्घाटन समारोह के दौरान कही।

स्मृति ईरानी ने युवा पीढ़ी की सराहना की। जो पारंपरिक शिल्प को बढ़ावा देने और उन्नत करने के लिए सराहनीय प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि सिटी पैलेस का यह प्रांगण अपने आप में ऐतिहासिक है और कला, संस्कृति, और शौर्य का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आज के एआई युग में, जहां सभी देश टेक्नोलॉजी की दौड़ में हैं। भारत अपनी सभ्यता और सांस्कृतिक धरोहर को टेक्नोलॉजी के साथ मिलाकर एक लोकतांत्रिक व्यवस्था प्रस्तुत कर रहा है। भारतीय सरकार ने अब तक लगभग 30 लाख हैंडिक्राफ्ट आर्टिजंस को एक विशेष पहचान कार्ड उपलब्ध कराया है, जिससे उन्हें वित्तीय संस्थान, क्रेडिट एजेंसियों और बैंकों से वित्तीय सहायता प्राप्त हो सके।

इस तीन दिवसीय आयोजन का उद्घाटन पूर्व केंद्रीय मंत्री, स्मृति ईरानी, पीडीकेएफ की जनरल सेक्रेटरी गौरवी कुमारी, पद्मनाभ सिंह और रिपब्लिक ऑफ जूफारी की संस्थापक, आकांक्षा मित्तल द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया।

पीडीकेएफ की जनरल सेक्रेटरी गौरवी कुमारी ने उद्घाटन समारोह में अतिथियों और आगंतुकों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह कलेक्टिव उन विमेन आर्टिजंस से प्रेरित है, जो पारंपरिक शिल्प जैसे फुलकारी और पटचित्र को नए तरीके से प्रस्तुत कर रही हैं। 12 से अधिक राज्यों के आर्टिजंस को इस कलेक्टिव में शामिल किया गया है, जहां हमारा लक्ष्य उन्हें शिल्प उद्यमी (क्राफ्ट-प्रेन्योर) के रूप में विकसित होने, अपना स्वयं का बाजार स्थापित करने और वैश्विक स्तर पर अपनी योग्यता का विस्तार करने में मदद करना है।

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