सिटी पैलेस में जीवित हो रही है जयपुर की प्राचीन ‘ठीकरी’ कला

जयपुर। जयपुर के सिटी पैलेस में चल रहे एक माह के सांस्कृतिक विरासत प्रशिक्षण शिविर के अंतर्गत जयपुर की पारंपरिक ‘ठीकरी’ (मिरर वर्क) कला की 15 दिवसीय विशेष प्रशिक्षण सत्र की शुरुआत की गई है। यह प्रशिक्षण सत्र भारत की प्रख्यात इनले कला ‘ठीकरी’ को समर्पित है, जो सदियों से महलों और मंदिरों की शोभा बढ़ाती आई है। शिविर के समन्वयक और सिटी पैलेस के कला एवं संस्कृति, ओएसडी, चित्रकार रामू रामदेव ने बताया कि यह विशेष सत्र, पूर्व राजपरिवार की पहल पर, लुप्तप्राय ‘ठीकरी’ कला को पुनर्जीवित करने और इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है। प्रतिभागियों को सिखाने के इस कला की मुख्य एलिमेंट ‘कांच’ को विशेष रूप से गुजरात से मंगवाया गया है।

इस प्रशिक्षण सत्र के दौरान रामू रामदेव प्रतिभागियों को चित्रकारी और कंपोज़िशन की बारीकियां सिखा रहे हैं। वहीं, जयपुर के वरिष्ठ ठीकरी कलाकार शंकर लाल कुमावत और बद्री नारायण कुमावत तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। सत्र के पहले दिन विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को ठीकरी कला की मूलभूत तकनीकों जैसे कलम पकड़ना, कांच की कटिंग, कांच पर प्रैशर, पैटर्न, डिजाइन और इसके ऐतिहासिक संदर्भ से परिचित कराया।

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