रक्षाबंधन पर भाई-बहन के रिश्ते में बंधा प्यार, 297 साल बाद बना अद्भुत शुभ संयोग

सुहाने मौसम और उत्साह भरे माहौल में दिनभर बंधी राखियां, भद्रा काल न होने से बहनों को मिला पूरे दिन का शुभ समय

मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, ठाकुरजी को बांधा रक्षा सूत्र, तीन-चार पीढ़ियों ने मिलकर मनाया प्रेम और परंपरा का पर्व

जयपुर। बहन-भाई के पवित्र स्नेह का पर्व रक्षाबंधन शनिवार को पूरे उल्लास, प्रेम और आध्यात्मिक उत्साह के साथ मनाया गया। इस बार भद्रा काल न होने के कारण सुबह से देर शाम तक राखी बांधने का सिलसिला चलता रहा। सुहाना मौसम और हल्की ठंडी हवाओं ने पर्व की खुशियों को और बढ़ा दिया।

सुबह से ही शहर की कॉलोनियों और गलियों में रक्षाबंधन की रौनक छा गई। सड़कों पर रंग-बिरंगे परिधानों में सजी बहनें और उपहार लिए बच्चे नजर आए। द्वारों पर शगुन पूजन हुआ और सबसे पहले घर के मंदिर में भगवान को राखी बांधी गई। बच्चों में कार्टून राखियों का खास उत्साह देखा गया। शुभ चौघड़िया में पूरे दिन राखी बांधी गई।

इस बार रक्षाबंधन खास रहा, क्योंकि श्रवण नक्षत्र, सौभाग्य योग, शनिवार का दिन, मकर राशि में चंद्रमा और पूर्णिमा तिथि का अद्भुत संयोग 297 वर्ष बाद बना। यह दुर्लभ योग पिछली बार 1728 में बना था।

पर्व के दिन छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग महिलाओं तक सभी में उत्साह देखने को मिला। घरों में पारंपरिक व्यंजन और मिठाइयां तैयार की गईं। बुजुर्ग माताओं और दादियों ने भाइयों व भतीजों को राखी बांधकर परंपरा निभाई।

गोविंद देवजी मंदिर, काले हनुमान जी मंदिर, मोती डूंगरी गणेश मंदिर सहित प्रमुख धार्मिक स्थलों पर विशेष पूजा-अर्चना की गई और ठाकुरजी को रक्षा सूत्र बांधा गया। मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ रही, जहां भाई-बहन भगवान के चरणों में रक्षा और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद लेने पहुंचे।

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