संरक्षण के प्रयासों ने दिखाया असर, विलुप्ति की कगार से लौटी प्रजाति, डायक्लोफेनेक पर रोक बनी गिद्धों के जीवन की संजीवनी
सरिस्का का प्राकृतिक वातावरण बना गिद्धों का सुरक्षित आशियाना
जयपुर। अलवर स्थित सरिस्का टाइगर रिजर्व में इन दिनों लांग बिल्ड वल्चर (इंडियन वल्चर) की लगातार अच्छी साइटिंग देखी जा रही है। कभी विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकी इस प्रजाति की वापसी अब आशा की नई किरण बनकर उभरी है।
गौरतलब है कि डायक्लोफेनेक दवा गिद्धों की मृत्यु का प्रमुख कारण बन रही थी। समय रहते सरकार ने इस घातक दवा पर प्रतिबंध लगाया और संरक्षण प्रयासों को गति दी। इसका सकारात्मक परिणाम अब सरिस्का में स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
सरिस्का के फील्ड डायरेक्टर संग्राम सिंह कटियार ने बताया कि यहां के स्वच्छ और संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र ने गिद्धों को एक सुरक्षित आवास प्रदान किया है, जिससे इनकी संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। हालिया फोटोग्राफ्स इस सफल संरक्षण की पुष्टि करते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि इसी प्रकार प्रयास जारी रहे, तो गिद्धों की यह प्रजाति एक बार फिर से अपनी खोई हुई आबादी हासिल कर सकती है।