आखिरकार लौटी क्लियोपेट्रा : अबकी बार झालाना नहीं बल्कि आमागढ़ लेपर्ड सफारी में दिखी

2019 की शुरुआत से इसका झालाना लेपर्ड सफारी में दिखाई देना हुआ था बंद

फिर 2021 में सुमेल की पहाड़ी वन क्षेत्र में लगे कैमरा ट्रैप में दिखाई दी ये मादा लेपर्ड, करीब 6 साल बाद हुई इसकी डायरेक्ट साइटिंग

जयपुर। आमागढ़ लेपर्ड सफारी में 6 सितंबर को पर्यटकों के लिए रोमांचक पल देखने को मिला, जब मादा लेपर्ड क्लियोपेट्रा ने अचानक से दस्तक दी। साल 2019 के बाद से झालाना में उसकी कोई झलक देखने को नहीं मिली थी। हालांकि 2021 में सुमेल की पहाड़ी पर वन विभाग द्वारा लगाए गए कैमरा ट्रैप में उसकी तस्वीर जरूर कैद हुई थी, लेकिन करीब 6 साल बाद सीधे तौर पर यह पहली साइटिंग है।

पर्यटकों और वन्यजीव प्रेमियों में उत्साह
क्षेत्रीय वन अधिकारी जितेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि वन्यजीव प्रेमी चारवी रावत और पर्यटक जॉन रामिरेज को सफारी के दौरान क्लियोपेट्रा दिखाई दी। यह न सिर्फ रोमांचक पल था बल्कि सफारी क्षेत्र के लिए भी शुभ संकेत है।

संरक्षण की दिशा में सकारात्मक संदेश
वन्यजीव प्रेमी धीरज कपूर ने इसे एक बड़ी उपलब्धि बताया और कहा कि क्लियोपेट्रा की वापसी से वन्यजीव संरक्षण की दिशा में विश्वास और मजबूत होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी दुर्लभ साइटिंग से न सिर्फ सफारी की लोकप्रियता बढ़ेगी, बल्कि पर्यटकों का आकर्षण भी और गहरा होगा। छह साल बाद आमागढ़ लेपर्ड सफारी में क्लियोपेट्रा का दिखना वन्यजीव प्रेमियों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं है।

पर्यटकों के लिए रोमांचक अनुभव
साल 2016 में जन्मी मादा लेपर्ड क्लियोपेट्रा और उसकी बहन जूलियट ने झालाना सफारी में खूब रोमांच जगाया था। जूलियट के बाद 2019 से क्लियोपेट्रा भी ओझल हो गई थी। अब करीब छह साल बाद आमागढ़ लेपर्ड सफारी में उसकी शानदार वापसी हुई है। पर्यटकों के लिए यह रोमांचक अनुभव है, वहीं वन्यजीव प्रेमी इसे संरक्षण प्रयासों की बड़ी सफलता मान रहे हैं। क्लियोपेट्रा की झलक अब सफारी का मुख्य आकर्षण बन गई है।

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