मागो, तवांग। 14,000 फीट की ऊंचाई पर देशभक्ति और टीम वर्क का संगम देखने को मिला। जब भारतीय सेना की गजराज कोर ने 79वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में चुना के अग्रिम क्षेत्रों में तिरंगा मार्च का नेतृत्व किया। एक अनोखे कदम के तहत, 160 गोरखा सैनिकों और संबद्ध टुकड़ियों तथा 25 आईटीबीपी कर्मियों ने हिमालय के हरे-भरे घास के मैदानों में 100 मीटर लंबा राष्ट्रीय ध्वज फहराया।

तवांग जिले के मागो और चुना के हरे-भरे गांवों के लगभग 150 स्थानीय ग्रामीण, जिनमें छोटे बच्चे भी शामिल थे, कंधे से कंधा मिलाकर मार्च करते हुए पूरे परिदृश्य को केसरिया, सफेद और हरे रंग के समुद्र में बदल दिया। सहायक आयुक्त थुतन वांगचू के नेतृत्व में नागरिक प्रशासन ने भारतीय सेना द्वारा समन्वित और संगठित इस कार्यक्रम में स्थानीय ग्रामीणों का नेतृत्व किया।
केंद्रीय उच्च तिब्बती अध्ययन संस्थान, सारनाथ, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के 23 छात्र और एक शिक्षक भी अपनी देशभक्ति की जड़ों की तलाश में इस मार्च में शामिल हुए। मार्च के बाद सभी एजेंसियां नो प्लास्टिक ज़ोन स्वच्छता अभियान के लिए एकजुट हुईं।

मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने इस प्रयास की सराहना की और इसे अपने चरम पर भारत की सच्ची भावना कहा। क्योंकि तिरंगे ने सुदूर सीमावर्ती क्षेत्र को राष्ट्रीय गौरव और पर्यावरणीय प्रतिबद्धता के जीवंत दृश्य में बदल दिया। मागो और चूना गांवों के हर घर में गर्व से राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। देशभक्ति का यह सामूहिक कार्य इस बात का एक सशक्त अनुस्मारक था कि हमारी आज़ादी एक साझा ज़िम्मेदारी है और सामूहिक उत्सव का एक कारण है।