कर्नल केसरी सिंह कानोता- द टाईगर पुस्तक का हुआ विमोचन

जयपुर। पहले के समय में शिकारियों को महान खिलाड़ी माना जाता था जिसके लिए ताकत, अनुशासन और जंगल और उसके निवासियों की गहरी समझ की आवश्यकता होती थी। एक शिकारी के रूप में कर्नल केसरी सिंह के कौशल ने एक कंजर्वेशनिस्ट के रूप में उनकी यात्रा की नींव रखी। यह बात पीपीसीसीएफ एवं वन बल प्रमुख अरिजीत बनर्जी ने कही। वे जयपुर के नारायण निवास में ‘कर्नल केसरी सिंह कानोता- द टाइगर’ पुस्तक के विमोचन के अवसर पर संबोधित कर रहे थे।

बनर्जी ने मोबाइल फोन और डिजिटल तकनीक के तेजी से बढ़ते उपयोग की प्रकृति के विपरीत पुस्तकों और फिल्म कैमरों के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने आगे कहा कि पढ़ने या फिल्म कैमरा का उपयोग करने के लिए आवश्यक धैर्य और उपस्थिति संरक्षण की मांग के अनुरूप ही है।

पर्यावरणविद् एवं वन्यजीव विशेषज्ञ, हर्षवर्धन ने अपने संबोधन में कहा कि यह पुस्तक बाघ संरक्षण पर समकालीन आख्यान के साथ व्यक्तिगत कहानियों को जोड़ती है। यह पुस्तक आज के वन्यजीव संरक्षण पर टिप्पणी के साथ समकालीन परिदृश्य पर आधारित है।

इस अवसर पर ठाकुर रघुनाथ सिंह कानोता ने अपने पिता के बारे में भावुक यादें ताजा कीं तथा उनके व्यक्तित्व, मूल्यों और योगदान की झलकियां साझा कीं। दुष्यंत नायला ने केसरी सिंह को वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में अग्रणी व्यक्ति बताया और कहा कि उनकी दूरदर्शिता, साहस और प्रतिबद्धता की विरासत आज भी कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।

जगदीप सिंह ने कर्नल केसरी सिंह कानोता के अपने अल्मा मेटर मेयो कॉलेज के साथ गहरे जुड़ाव की यादें साझा कीं। उन्होंने संस्थान की समृद्ध विरासत के बारे में बात की। जिसकी स्थापना 1875 में भारत के राज परिवारों के उत्तराधिकारियों को शिक्षित करने के लिए की गई थी और कैसे इसने कर्नल केसरी सिंह जी जैसे व्यक्तियों को आकार दिया।

पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के एक भाग के रूप में कई व्यक्तियों को वन्यजीव संरक्षण, वन प्रबंधन में उनके उत्कृष्ट योगदान और कर्नल केसरी सिंह कानोता की विरासत को संरक्षित करने में उनके समर्थन के लिए पुरस्कार और प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया।

इनमें राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, तत्कालीन वन मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर, पीसीसीएफ हॉफ अरिजीत बनर्जी, डीसीएफ झालाना सुदर्शन शर्मा, जगदीश गुप्ता, विजेंद्र पाल सिंह और एसीएफ झालाना देवेंद्र सिंह राठौड़ शामिल थे। इनके अतिरिक्त, वॉलंटियर्स धीरेंद्र गोधा, धीरज कपूर और दिनेश दुर्रानी को भी सम्मानित किया गया। वहीं वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक डॉ अरविंद माथुर, सहायक वनपाल राजाराम मीना को भी उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

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