महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय संग्रहालय ने सभा निवास को फिर से खोलने की घोषणा की

इंटरनेशनल म्यूजियम डे पर सभा निवास को आगंतुकों के लिए खोला गया

जयपुर। महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय संग्रहालय ने जयपुर के सिटी पैलेस में स्थित ऐतिहासिक सार्वजनिक हॉल सभा निवास को फिर से खोलने की घोषणा की है। जुलाई 2024 में शुरू हुए व्यापक संरक्षण व जीर्णोद्धार के बाद, यह वास्तुशिल्प स्थल, जो कभी शाही दरबार और औपचारिक स्वागत के लिए तैयार था, आज फिर से अपनी पूर्ण भव्यता के साथ आगंतुकों के लिए एग्जीबिशन के तौर पर खोल दिया गया है।

इसके साथ ही हॉल की मूल विशेषताओं के विविध पहलु लोगों को देखने को मिलते हैं, जिसमें इसके खुले मेहराब, जटिल नक्काशीदार संगमरमर के स्तंभ और जीवंत रंगों व सोने के काम से सजी खूबसूरत छतें शामिल हैं, जो जयपुर के कलाकारों के शिल्प कौशल के जीवंत प्रमाण हैं। ऐतिहासिक रूप से सभा निवास राजनीतिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान था। यह जयपुर के शासकों के लिए मुख्य स्थान था, जहां वे दरबार लगाते थे, अतिथियों व गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते थे और राजकीय मामलों का संचालन भी यहीं किया करते थे।

अब इसे गैलरी के तौर पर तैयार किया गया है। यहां एग्जीबिशन प्रदर्शित की जाएगी, जिसमें शाही दरबार के अनुष्ठानों, कार्यवाहियों व प्रतीकों की झलक देखने को मिलेगी। जयपुर के महाराजा सवाई प्रताप सिंह के जीवन के एक आदर्श दिन का वर्णन करने वाले दुर्लभ ऐतिहासिक स्रोत प्रताप प्रकाश से प्रेरित सभा निवास को इमर्सिव स्टोरीटेलिंग और एकीकृत प्रौद्योगिकी के माध्यम से जीवंत किया गया है।

पद्मनाभ सिंह बताते हैं कि सभा निवास मेरे लिए बहुत मायने रखता है, यह वह स्थान है जहां मेरा राजतिलक समारोह हुआ था, उसके बाद मेरे अठारहवें जन्मदिन पर दरबार लगाया गया था। इसके संरक्षण की प्रक्रिया के दौरान, हमारा लक्ष्य इसे एक जैसे स्थिति में हमेशा के लिए रखना नहीं था, बल्कि इसे इस तरह से पुनर्स्थापित करना था कि यह सभा, समारोह और चर्चा के स्थान के रूप में अपनी भूमिका को आगे भी जारी रख सके। इसका जीर्णोद्धार यह सुनिश्चित करता है कि यह हमारे साझा इतिहास के साथ जुड़ने के तरीके का एक जीवंत व विकसित हिस्सा बना रह सके।

आर्किटेक्चर में जलवायु नियंत्रण व प्रकाश व्यवस्था को सहजता के साथ समाहित करके, सभा निवास अब आगामी पीढ़ियों को अपनी विरासत को संरक्षित करने की जानकारी देने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसके साथ ही यह सांस्कृतिक जुड़ाव और सार्वजनिक चर्चा का स्थान भी उपलब्ध कराता है।

इसकी एग्जीबिशन में कई असाधारण वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं, जिनमें कुछ तो दशकों में पहली बार सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जा रही हैं, जैसे 19वीं सदी के हौदा: हाथियों पर बैठने की ये सीटें उस दौर में भव्य सार्वजनिक जुलूसों में इस्तेमाल की जाती थीं, उनमें वह हौदा भी शामिल है जिस पर 1961 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय अपनी जयपुर यात्रा के दौरान सवार हुई थीं।

19वीं सदी के छत्र: शासन का प्रभावी प्रतीक, इस केंद्रीय छत्र को सावधानीपूर्वक संरक्षित किया गया है, जिसे 65 वर्षों में पहली बार प्रदर्शित किया जा रहा है।

19वीं सदी के सिंहासन: 1800 के दशक के उत्तरार्ध की यूरोपीय शैली में डिजाइन किए गए सिंहासन कछवाहा शासकों के विकसित सौंदर्यशास्त्र को दर्शाते हैं। सभा निवास में दो सिंहासन रखे गए हैं, जिनमें से एक को हाल ही में इंडिया आर्ट फेयर 2025 के तहत संग्रहालय की ‘वी द पीपल’ एग्जीबिशन में प्रदर्शित किया गया था।

18वीं सदी के साहिबराम चित्र: मास्टर पेंटर साहिबराम द्वारा बनाए गए दरबारी चित्रों की दुर्लभ व आदमकद श्रृंखला, जिसे कपड़े पर ग्वाश से बनाकर लकड़ी के पैनल पर लगाया गया है। ये छह फुट ऊंची कलाकृतियां मूल रूप से इसी हॉल के लिए बनाई गई थीं, जिससे सभा निवास में उनकी वापसी विशेष रूप से गुंजायमान है।

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