जयपुर। ज्येष्ठ माह शुरू होते ही मंदिरों में ठाकुरजी को तेज गर्मी से निजात दिलाने के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। ठाकुर जी के गर्भ गृह में फव्वारों से ठंडक की जा रही है। इसी कड़ी में सोमवार को गोविंद देवजी मंदिर में जल उत्सव की शुरुआत हुई। इससे लिए ठाकुरजी को चांदी के रियासतकालीन सिंहासन पर विराजमान किया गया। ठाकुरजी ने राधा रानी संग सुगंधित जल की फुहारों के बीच भक्तों को दर्शन दिए।
दोपहर को महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में गोविन्ददेवजी मंदिर के निज गर्भ मंदिर में रियासतकालीन फव्वारा चलाया गया। जल में चंदन, केवड़ा और गुलाब जल मिलाया गया। इससे पूरा मंदिर परिसर सुगंधित हो उठा। मंदिर के छांवण में प्रवेश करते ही भक्तों को शीतलता का अहसास हुआ। ठाकुरजी को सफेद धोती और दुपट्टा धारण कराकर हल्के पीले और धवल ऋतु पुष्पों से शृंगार किया गया। जलविहार का जल मंदिर के पीछे जय निवास उद्यान की ओर निकलने लगा। जहां श्रद्धालुओं ने जल में स्नान किया।
कुछ दर्शनार्थी अपने साथ जल पात्र में भरकर घर भी लेकर गए। ठाकुरजी ने जलविहार के दौरान भक्तों को पानी बचाने का संदेश दिया। पहले जलविहार की झांकी एक घंटे की हुआ करती थी, उसका समय घटाकर मात्र 15 मिनट कर दिया गया है। जल यात्रा उत्सव के बाद आम, खरबूजा, तरबूज, खस और गुलाब का शरबत, मुरब्बे का भोग लगाया गया।
बारह दिन होगा जल यात्रा उत्सव
ज्येष्ठ माह में 12 दिन दोपहर 12:30 से 12:45 बजे तक ठाकुरजी राधा रानी संग शीतल फुहारों के बीच भक्तों को दर्शन देंगे। 18 मई, 23 मई(अपरा एकादशी), 26 मई, 27 मई, 28 मई, 31 मई, 05 जून, 07 जून को जल यात्रा उत्सव के तहत जलविहार की झांकी सजेगी।