खेला राष्ट्रीय नाट्य समारोह में नाटक ‘आधे-अधूरे’ और ‘भंवर’ का मंचन

फेस्टिवल के आखिरी दिन मंगलवार को होगा संवाद प्रवाह, विशेष सत्र और नाटक ‘पोस्टमास्टर’ का मंचन

जयपुर। क्यूरियो, संस्कृति मंत्रालय और जवाहर कला केंद्र के सहयोग से आयोजित खेला राष्ट्रीय नाट्य समारोह का सोमवार को तीसरा दिन रहा। नाट्य प्रस्तुति के अंतर्गत ऋषिकेश शर्मा के निर्देशन में नाटक ‘आधे-अधूरे’ का मंचन हुआ। वहीं राजदीप वर्मा के निर्देशन में नाटक ‘भंवर’ खेला गया। संवाद प्रवाह में आधे-अधूरे की टीम व नाटक के सलाहकार बीकानेर निवासी दलीप सिंह भाटी और नाट्य निर्देशक राजदीप वर्मा व प्रकाश संयोजक शहजोर अली ने विचार रखे।

वरिष्ठ नाट्य निर्देशक राजीव आचार्य ने मॉडरेशन किया। फेस्टिवल के आखिरी दिन मंगलवार शाम 5 बजे ‘थिएटर और तकनीक’ विषय पर आर्ट इंस्टालेशन एक्सपर्ट युनुस खिमाणी और अर्थ प्रकाश डालेंगे, जिसका मॉडरेशन जोधपुर के सीनियर नाट्य निर्देशक रंग परिकल्पनाकार अरु व्यास करेंगे। शाम 7 बजे शुभोजित बंद्योपाध्याय के निर्देशन में नाटक ‘पोस्टमास्टर का मंचन होगा। संवाद प्रवाह में शुभोजित बंद्योपाध्याय व डॉ. कपिल शर्मा विचार साझा करेंगे।

रिश्तों के बिखराव और असंतोष की गूंज है नाटक ‘आधे-अधूरे’

कृष्णायन में प्रस्तुत नाट्य प्रस्तुति ‘आधे-अधूरे’ ने दर्शकों पर प्रभावशाली छाप छोड़ी। यह नाटक मोहन राकेश द्वारा लिखित है जिसकी परिकल्पना व निर्देशन ऋषिकेश शर्मा ने किया है। नाटक की कहानी एक ऐसे परिवार की है जहां रिश्तों में बढ़ती दूरी, असंतोष और अस्तित्व की जटिलता को दर्शाया गया। नाटक में दिखाया कि सावित्री जो आर्थिक रूप से घर की सक्षम मुखिया है, वह हमेशा अपने परिवार को जोड़ने का प्रयास करती हैं। मंच पर कपिल शर्मा, आस्था शर्मा, अन्नपूर्णा शर्मा, आयुषी रामनानी, मोहित शर्मा, महेश जिलोवा, महमूद अली, अभिषेक झांकल, के के सोनी ने शानदार अभिनय किया। नाटक के सहयोगी निर्देशक महेश जिलोवा थे।

युवा पीढ़ी की सपनों संघर्षों और दबावों की कहानी ‘भंवर’

रंगायन सभागार में राजदीप वर्मा के निर्देशन में हुआ नाटक ‘भंवर’ एक आधुनिक परिवार की कहानी को बयां करता है जो बाहर से तो सामान्य दिखता है लेकिन अंदर ही अंदर वह बिखरा हुआ है। नाटक का मुख्य पात्र सुनील लेखक बनना चाहता है लेकिन वह अपने पिता और समाज की उम्मीदों के बीच इस कदर फंसा हुआ है कि उसे वहां से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं दिखाई पड़ता। उसके पिता उसे इंजीनियर या सरकारी अफसर बनता देखना चाहते हैं लेकिन सुनील अपनी अलग पहचान बनाने के रास्ते पर चलना चाहता है। मंच पर सर्वेश व्यास, शिखा पारीक, देवांश शर्मा, दीपक जांगिड़, ऋचा शर्मा, यश शर्मा, दिलीप सिंह नरुका, अभिषेक, मृतुंजय विभिन्न पात्रों में नज़र आए। वहीं मंच परे संगीत समीर राजपूत, लाइट शहजोर अली, कॉस्ट्यूम की व्यवस्था वंदना शर्मा ने संभाली।

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