आर्टिजंस कलेक्टिव में ‘एम्पावरिंग विमेन एज एंटरप्रेन्योर्स’ पर हुई चर्चा

पैनल चर्चा में गौरवी कुमारी, रूमा देवी और आकांक्षा मित्तल रहीं शामिल, पीडीकेएफ आर्टिजंस कलेक्टिव का हुआ समापन

जयपुर। सिटी पैलेस में प्रिंसेस दीया कुमारी फाउंडेशन (पीडीकेएफ) द्वारा आयोजित ‘पीडीकेएफ आर्टिजन कलेक्टिव’ के अंतर्गत “एम्पावरिंग विमेन एज एंटरप्रेन्योर्स” विषय पर एक विचार-प्रेरक पैनल चर्चा का आयोजन किया गया। इस सत्र में जयपुर की प्रिंसेस गौरवी कुमारी ने अवॉर्ड-विनिंग आर्टिजन एवं सामाजिक उद्यमी, रूमा देवी और रिपब्लिक ऑफ जूफारी की संस्थापक एवं सोनालिका ट्रैक्टर्स सीएसआर, निदेशक, फिलांथ्रोपिस्ट और सामाजिक उद्यमी, आकांक्षा मित्तल के साथ चर्चा की। इस चर्चा के दौरान रूमा देवी ने एक महिला आर्टिजन से लेकर एक सफल उद्यमी बनने तक का सफर, जीवन की चुनौतियों और सफलताओं की प्रेरक कहानियां साझा की। वहीं आकांक्षा मित्तल ने सामाजिक उद्यमी के रूप में अपना सफर, जूफारी की शुरुआत और समाज के लिए अपने योगदान पर प्रकाश डाला।

राजस्थान के बाड़मेर जिले की निवासी रूमा देवी ने बताया कि किस प्रकार विपरीत परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए उन्होंने आज यह मुकाम हासिल किया कि वे आज महिलाओं विशेषकर ग्रामीण महिलाओं के लिए एक उदहारण बन गई है। उन्होंने हस्तशिल्प और कढ़ाई में प्रशिक्षण देकर महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए। उनकी इस पहल से महिलाएं अपने घरों से बाहर निकलीं और आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनीं। अपने इस सफर के बारे में उन्होंने बताया कि उन्होंने 10 महिलाओं के साथ अपनी शुरुआत की थी, लेकिन अब उनके साथ करीब 50 हजार महिलाएं जुड़ी हुई हैं।

रूमा देवी ने कहा कि हमारी संस्कृति और पहनावा ही हमारी पहचान हैं। जब आप विदेश जाते हैं, तो लोग आपके पहनावे से पहचान जाते हैं कि आप भारतीय हैं। वहीं, जब आप राजस्थान से बाहर जाते हैं, तो आपकी पोशाक से लोग समझ जाते हैं कि आप राजस्थानी हैं। इसलिए मैंने कभी अपना पारंपरिक पहनावा नहीं बदला, क्योंकि यही मेरी पहचान और संस्कृति है। उन्होंने यह भी कहा कि कारीगरी में हर एक वस्तु केवल हाथ से बनाई नहीं जाती, बल्कि उसमें कारीगर की मेहनत, भावनाएं और एक गहरे जुड़ाव की कहानी छिपी होती है।

पैनल चर्चा में बात करते हुए रिपब्लिक ऑफ जूफारी की संस्थापक, आकांक्षा मित्तल ने पशुओं के लिए एक सैन्चुरी बनाने की अपनी यात्रा और एक महिला उद्यमी होने की चुनौतियों को साझा किया। मित्तल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि महिला उद्यमी, विशेष रूप से सामाजिक उद्यमों में, अक्सर यह दिखाने के लिए संघर्ष करती हैं कि उद्देश्यपूर्ण व्यवसाय भी सफल और सस्टेनेबल हो सकते हैं।

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