जवाहर कला केन्द्र में विजयदान देथा साहित्य उत्सव की शुरूआत

राजस्थानी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकारों को समर्पित होंगे सत्र 10 सत्रों में 36 साहित्यकार लेंगे हिस्सा

जयपुर। जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित तीन दिवसीय विजयदान देथा साहित्य उत्सव की शुक्रवार से शुरूआत हुई। कला, साहित्य, संस्कृति, पर्यटन एवं पुरातत्व विभाग के शासन सचिव रवि जैन ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उत्सव में पहले दिन के सत्र में विजयदान देथा के साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डाला गया, ब्रह्म स्वरूप शब्दों की साधना करने पर जोर दिया गया।

शासन सचिव रवि जैन ने राजस्थानी भाषा को बढ़ावा देने के लिए साहित्य उत्सव के आयोजन के लिए राजस्थान सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उत्सव में राजस्थान के प्रसिद्ध लेखों को समर्पित सत्र रखे गए है। जिनमें राजस्थानी के लालित्य से सभी सराबोर होंगे।

शब्द ब्रह्म हैं इसकी साधना जरूरी

साधो! सबद साधना कीजे कार्यक्रम के अंतर्गत डॉ. राजेश कुमार व्यास, राजवीर चलकोई व डॉ. गजादान चारण ने राजस्थानी भाषा, साहित्य, संस्कृति व धरोहर के महत्व पर पर विचार व्यक्त किए। डॉ. राजेश कुमार व्यास ने कहा कि विजयदान देथा ने सच्ची शब्द साधना की और लोक कहानियां को पूर्ण किया। राजवीर चलकोई ने कहा कि स्कूली पाठ्यक्रम में राजस्थानी भाषा को शामिल किया जाना चाहिए और व्यावहारिक तरीके से इसे सिखाया जाना चाहिए। गजादान चारण ने कहा कि राजस्थानी भाषा को बचाने के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन सामाजिक चेतना भी उतना ही जरूरी है। उन्होंने युवाओं को राजस्थानी साहित्य, संस्कृति और इतिहास को पढ़ने पर जोर दिया।

ढाई कड़ी की रामलीला’ में हुआ ‘सीता-हरण’ प्रसंग का मंचन

रंगायन सभागार में राजस्थान की अनूठी नाट्य विधा में ‘ढाई कड़ी की रामलीला’ का मंचन हुआ। विश्वामित्र दाधीच के निर्देशन में हुई इस विशेष प्रस्तुति में ‘सीता हरण प्रसंग’ को मंचित किया गया। कलाकारों ने अपने संवादों को गाकर दर्शकों तक पहुंचाया, जिसमें महिला और पुरुष पात्रों के संवाद अलग-अलग लय और शैली में प्रस्तुत किए गए। ‘ढाई कड़ी की रामलीला’ राजस्थान की एक दुर्लभ नाट्य परंपरा है, जिसमें अभिनय और संगीत का गहरा तालमेल देखने को मिलता है।

इस अवसर पर केन्द्र की अतिरिक्त महानिदेशक अलका मीणा, वरिष्ठ लेखाधिकारी बिंदु भोभरिया और वरिष्ठ साहित्यकार व बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी मौजूद रहे।

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