जयपुर। फाल्गुन का महीना होली के रंगों के लिए ही नहीं इस बार भक्ति के लिए भी खास रहेगा। इस बार इस महीने में दो-दो भौम प्रदोष व्रत पर भगवान भोलेनाथ की विशेष आराधना की जाएगी। ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि प्रदोष की तिथि प्रत्येक माह के दोनों पक्षों में त्रयोदशी को आती है। त्रयोदशी तिथि को सायंकाल सूर्यास्त से दो घंटा 24 मिनट का समय प्रदोष काल कहलाता है। प्रदोष काल में भगवान शिव की उपासना अत्यंत शुभ फलदायी मानी गई है। यह प्रदोष विभिन्न वारों के साथ संयुक्त होकर और भी विशिष्ट फलदायी बन जाता है।
भौम प्रदोष से प्रदोष व्रतों के आरंभ का अनुष्ठान किया जा सकता है और पूरे वर्ष में पडऩे वाले 24 प्रदोष का विधिपूर्वक व्रत अनुष्ठान, पूजन करते हुए अपने कर्म को नियमित रूप से निष्ठा पूर्वक करते हुए इच्छित फल की प्राप्ति की जा सकती है। जब गुरु और शुक्र ग्रह अस्त हों, या ये दोनों ग्रह बाल्यावस्था या वृद्धावस्था में हों, अधिमास हो या क्षय मास हो तो व्रत नहीं शुरू करना चाहिए। उस समय उद्यापन भी नहीं करना चाहिए लेकिन भौम प्रदोष ऐसी तिथि है कि जब भी पड़े, उस दिन से व्रत का अनुष्ठान शुरू कर सकते हैं।
फाल्गुन माह के त्योहार
24 फरवरी- विजया एकादशी
25 फरवरी – भौम प्रदोष
26 फरवरी – महाशिवरात्रि
27 फरवरी – अमावस्या
28 फरवरी – स्नान-दान की अमावस्या
01 मार्च – स्वामी रामकृष्ण परमहंस जयंती
06 मार्च – कामदा सप्तमी
10 मार्च – रंगभरी एकादशी
11 मार्च – भौम प्रदोष
13 मार्च – होलिका दहन
14 मार्च – होली