सूर्यास्त के समय हुआ ध्वज पूजन और वायु परीक्षण, विद्वानों ने ग्रह-नक्षत्रों के आधार पर चातुर्मास की वर्षा का अनुमान किया प्रस्तुत
पूर्व से पश्चिम दिशा में वायु प्रवाह: इस बार वर्षा होगी उत्तम
जयपुर। आषाढ़ी वायु धारिणी पूर्णिमा के अवसर पर जयपुर के ऐतिहासिक जंतर मंतर स्मारक में गुरुवार को सूर्यास्त के समय 7.19 बजे पारंपरिक विधि से ध्वज पूजन और वायु परीक्षण किया गया। भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह दिन वर्षा पूर्वानुमान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
इस अवसर पर जयपुर के विद्वानों प्रो. डॉ. विनोद शास्त्री, डॉ. विनोद कुमार शर्मा, पं. दामोदर प्रसाद शर्मा, सहित अन्य विद्वानों की उपस्थिति में वृष्टि विज्ञान के आधार पर चातुर्मास की वर्षा के योग का आकलन किया गया।

वायु परीक्षण में देखा गया कि वायु का प्रवाह पूर्व से पश्चिम दिशा में था, जिसे शास्त्रों में श्रेष्ठ वर्षा का संकेत माना जाता है। विद्वानों ने ग्रह-नक्षत्रों और आकाशीय लक्षणों की तुलना कर बताया कि इस वर्ष मानसून अनुकूल रहेगा और वर्षा की मात्रा संतोषजनक रहने की संभावना है।
कार्यक्रम में पुरातत्व विभाग के निदेशक पंकज धरेंद्र सहित जंतर मंतर, हवामहल, आमेर महल व अल्बर्ट हॉल के अधीक्षकगण भी उपस्थित रहे। जंतर मंतर में वर्षा पूर्वानुमान की यह परंपरा न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से रोचक है, बल्कि यह सांस्कृतिक विरासत का भी जीवंत उदाहरण है।