गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, जम्मू और कश्मीर, चेन्नई सहित विभिन्न शहरों के प्रतिभागी शामिल
जयपुर। महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय संग्रहालय ट्रस्ट द्वारा सिटी पैलेस, जयपुर में आयोजित हो रहे एक माह के सांस्कृतिक विरासत प्रशिक्षण शिविर में प्रतिभागियों को विभिन्न पारंपरिक भारतीय कलाओं की बारीकियों से रु-ब-रु कराया जा रहा है। इस शिविर का उद्देश्य युवा पीढ़ी को भारत की संस्कृति, समृद्ध कला व शिल्प से परिचित कराना और इसका संरक्षण करना है। शिविर में विभिन्न आयु वर्ग के प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं, जिन्हें प्रसिद्ध कला विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न पारंपरिक कला रूपों में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
इसमें पारंपरिक चित्रकला, आला गिला, आराईश, ध्रुवपद, कथक, बांसुरी, कैलीग्राफी, वैदिक ज्योतिष और ठीकरी (मिरर वर्क) कला शामिल है। यह शिविर पारम्परिक कलाओं की प्रतिनिधि संस्था ‘रंगरीत’ तथा ‘सरस्वती कला केन्द्र’ के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। शिविर का समापन 20 जून को होगा।
शिविर का समन्वय रामू रामदेव ने बताया कि यह शिविर पारंपरिक कला व संस्कृति को बढ़ावा देने की जयपुर राज परिवार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है कि यह गत 28 वर्षों से सिटी पैलेस में प्रत्येक वर्ष शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ष जयपुर सहित देश के विभिन्न हिस्सों जैसे गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, जम्मू और कश्मीर, चेन्नई और मध्य प्रदेश से प्रतिभागी पारंपरिक कलाओं का प्रशिक्षण लेने के लिए आए हुए हैं।
डॉ. ज्योति भारती गोस्वामी प्रतिभागियों को जयपुर घराने की शुद्ध शैली में ‘कथक’ एवं ‘लोकनृत्य’ की विधाएं सिखा रही हैं। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण की शुरुआत कथक के मूल व्याकरण से की गई, जिसमें ताल, लय, भाव एवं शारीरिक संतुलन की समझ विकसित की गई। इसके पश्चात, प्रतिभागियों को मुद्राओं, फुटवर्क, तोड़े, तिहाई, अंग-संचालन और पद-संचालन जैसे तत्वों का गहन अभ्यास करवाया जा रहा है। वहीं, डॉ. मधुभट्ट तैलंग जयपुर घराने का ध्रुवपद’ सिखा रही हैं, जिसमें प्रतिभागियो को ध्रुपद गायन की मूल संरचना, जैसे राग की शुद्धता, और लय- ताल से परिचित कराया जा रहा है।