टीम एनएक्सआर जयपुर। अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में कई ऐसी पुरा वस्तुएं हैं, जिन्हें देख भारतीय और विदेशी पर्यटक हैरान हो जाते हैं। न्यूज एक्सप्रेस राजस्थान पाठकों को संग्रहालय में प्रदर्शित एक ऐसे संग्रह से रूबरू करवा रहा है। जिसके बारे में जानकार हर कोई अचंभित रह जाएगा।
संग्रहालय में प्रदर्शित प्राचीन ग्रंथ (19वीं शताब्दी का) ‘भैरवाष्टक’ का उल्लेख करना जरूरी है। नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र की एक टीम द्वारा अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में पुरा वस्तुओं के किए गए संरक्षण कार्य के दौरान ‘भैरवाष्टक’ की रोचक जानकारी सामने आई। टीम को साल 2023 में संरक्षण कार्य करते समय भैरवाष्टक नाम की पांडुलिपि के अंदर एक बलि पत्र मिला था। इसके मुख्य भाग में श्री चक्र एवं शेष भाग पर समस्त देवी देवताओं को बलि देने का स्थान दर्शाया गया है। इस पत्र की मुख्य बात ये है कि इस पर लगे खून के धब्बे बीतते समय के साथ काले पड़ गए। संरक्षण का कार्य कर रही टीम ने केमिकल का उपयोग कर संरक्षण कार्य किया तो ये सारे धब्बे पुनः लाल हो गाए थे। इसे देख ऐसा प्रतीत होता है कि ये पत्र स्वयं ही बलि प्रक्रिया का एक जीवंत दस्तावेज है। ये दस्तावेज दर्शाता है कि संग्रहालय न सिर्फ केवल मूर्त अपितु अमूर्त की भी सुरक्षा करता है। ताकि आगे आने वाली पीढ़ियां इस विरासत से रूबरू हो सकें। इस बलि पत्र में भारतीय तंत्र साधना में विभिन्न प्रकार की बलियों का उल्लेख है।
इनका कहना…
संग्रहालय में प्रदर्शित बलि पत्र पर लगे धब्बे खून के बताए जा रहे हैं। नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र की टीम ने संरक्षण कार्य के दौरान इस बात की पुष्टि की है।
मो. आरिफ, अधीक्षक, अल्बर्ट हॉल संग्रहालय
भैरवाष्टक पांडुलिपि के अंदर मिले बलि पत्र में लगे धब्बे खून के हैं। संरक्षण कार्य के दौरान इन पर केमिकल के उपयोग से इस बात की पुष्टि हुई है। बलि पत्र में लिखावट नागरी लिपि में है। ये पत्र करीब 200 साल पुराना है
कीर्तिपाल सिंह परमार, प्रोजेक्ट कॉडिनेटर, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द, नई दिल्ली