सानिया पाटनकर ने मधुरम महोत्सव में रचा सुरों का जादू

जयपुर घराने की गायिकी और कृष्ण भक्ति का संगम, जेकेके में तीन दिवसीय मधुरम महोत्सव की सुरमयी शुरुआत

जयपुर। जवाहर कला केन्द्र में सोमवार को शुरू हुए मधुरम महोत्सव की पहली शाम शास्त्रीय संगीत प्रेमियों के नाम रही। विदुषी सानिया पाटनकर ने अपनी मधुर गायिकी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। जयपुर घराने की खूबसूरत शैली और श्रीकृष्ण भक्ति से सराबोर इस प्रस्तुति ने जन्माष्टमी का माहौल और भी भक्तिमय बना दिया।

सानिया पाटनकर, पद्मश्री अश्विनी भिडे देशपांडे की शिष्या हैं। उन्होंने राग मेघ की झपताल बंदिश ‘गरजे घटा’ से शुरुआत की और बरसात का अद्भुत चित्र खींचा। इसके बाद राग सूहा कानडा में द्रुत एकताल पर ‘झूम झूम’ गाकर उन्होंने श्रोताओं को सुरों की मस्ती में डूबो दिया। आगे उन्होंने श्रीकृष्ण चरित्र पर आधारित रचना प्रस्तुत की और ‘बाजे मुरलिया बाजे’ से सभागार में भक्ति की गूंज भर दी। अंत में संत सूरदास का भजन ‘हे गोविंद हे गोपाल’ गाकर महफिल को कृष्णमय कर दिया। तबले पर डॉ. हरिओम हरि और हारमोनियम पर राजेंद्र बनर्जी ने संगत दी।

लोकनृत्य कार्यशाला का समापन 19 अगस्त को होगा, जिसमें घूमर, चिरमी, चरी नृत्य और राधा-कृष्ण प्रसंगों की झलक देखने को मिलेगी। 20 अगस्त को वृंदावन के कलाकार नृत्य नाटिका ‘भ्रमर’ प्रस्तुत करेंगे, जिसमें कृष्ण की लीलाओं को रंगमंच पर साकार किया जाएगा।

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