सिटी पैलेस जयपुर में सांस्कृतिक विरासत प्रशिक्षण शिविर का हुआ समापन, शिविर में इस वर्ष पारंपरिक ‘ठीकरी’ कला रही मुख्य आकर्षण
जयपुर। सिटी पैलेस जयपुर में एक महीने तक चले सांस्कृतिक विरासत प्रशिक्षण शिविर का समापन समारोह आयोजित हुआ। समारोह में प्रतिभागियों ने शिविर के दौरान सीखी ध्रुवपद, जयपुर घराने का कथक, राजस्थानी लोक नृत्य, बांसुरी जैसी विभिन्न पारम्परिक कलाओं की मनमोहक प्रस्तुतियां देकर सभी का मन मोह लिया। वहीं, समारोह में प्रतिभागियों द्वारा बनाई गई प्राचीन आला गिला, आराईश (फ्रेस्को), ठीकरी कला, पारंपरिक पेंटिंग्स की प्रदर्शनी को भी दर्शकों ने खूब सराहा। इस एक माह तक चले शिविर में प्रतिभागियों ने वैदिक ज्योतिष का ज्ञान भी प्राप्त किया। शिविर का आयोजन महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय संग्रहालय ट्रस्ट द्वारा पारम्परिक कलाओं की प्रतिनिधि संस्था ‘रंगरीत’ तथा ‘सरस्वती कला केन्द्र’ के सहयोग से किया गया।
इस अवसर पर एमएसएमएस द्वितीय संग्रहालय की कार्यकारी ट्रस्टी, रमा दत्त उपस्थित रहीं। उन्होंने सभी प्रशिक्षकों का माला पहनाकर और प्रमाण-पत्र देकर सम्मान किया। इस प्रशिक्षण शिविर का समन्वय सिटी पैलेस के कला एवं संस्कृति, ओएसडी, चित्रकार रामू रामदेव द्वारा किया गया। उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण शिविर का आयोजन पूर्व राजपरिवार द्वारा हर वर्ष किया जाता है, जिसका उद्देश्य नई पीढ़ी को हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जोड़ना तथा पारंपरिक कलाओं का संरक्षण और संवर्धन करना है। इस वर्ष शिविर में 200 से अधिक प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
समारोह की शुरुआत सरस्वती मां की मूर्ति के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ हुई। कार्यक्रम में पहले डॉ. मधु भट्ट तैलंग के मार्गदर्शन में ध्रुवपद की प्रस्तुति हुई, जिसमें प्रतिभागियों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ भावपूर्ण गायन किया। जिसके बाद आरडी गौड़ के मार्गदर्शन में बांसुरी वादन की प्रस्तुति हुई। समारोह का समापन डॉ ज्योति भारती गोस्वामी द्वारा निर्देशित जयपुर घराना के ‘कथक’ और घूमर के सुंदर नृत्य प्रदर्शन के साथ हुआ, जहां विभिन्न आयु समूहों की लड़कियों ने उत्साहपूर्वक अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित किया।
शिविर के दौरान प्रतिभागियों को ढूंढाड़ शैली की पारंपरिक चित्रकला की बारीकियों से अवगत कराया गया। यह प्रशिक्षण रामू रामदेव, बाबूलाल मारोठिया, श्यामू रामदेव, लक्ष्मी नारायण कुमावत और यामिनी रामदेव के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। इसके साथ ही, डॉ. नाथूलाल वर्मा ने ‘आला गिला’ और ‘आराईश’ (फ्रेस्को तकनीक) का गहन प्रशिक्षण प्रदान किया। वहीं, हिंदी और अंग्रेजी में ‘कैलीग्राफी’ तथा ‘पोर्ट्रेट’ कला का प्रशिक्षण ललित शर्मा के निर्देशन में दिया गया। ‘वैदिक ज्योतिष’ से प्रतिभागियों को डॉ. ब्रजमोहन खत्री ने परिचित कराया, जबकि शंकर लाल कुमावत एवं बद्री नारायण कुमावत ने ‘ठीकरी’ (मिरर वर्क) कला की बारीकियां सिखाईं।