भक्त से बड़ा कोई नहीं होता : सुनील शेट्टी

जयपुर। हाल ही में रिलीज हुई ऐतिहासिक फिल्म केसरी वीर के प्रमोशन के सिलसिले में फिल्म के मुख्य अभिनेता सुनील शेट्टी ने जयपुर में मीडिया से मुलाकात की। यह फिल्म 14वीं शताब्दी में सोमनाथ मंदिर पर हुए आक्रमण की पृष्ठभूमि पर आधारित है और इसमें गुजरात के उन वीर योद्धाओं की कहानी को दर्शाया गया है, जिन्होंने मंदिर की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। फिल्म में सुनील शेट्टी, सूरज पंचोली और विवेक ओबेरॉय मुख्य भूमिकाओं में हैं, जिसमें विवेक ओबेरॉय ने नकारात्मक किरदार निभाया है।

मिराज सिनेमा पहुंचने पर सुनील शेट्टी का ढोल बाजों से स्वागत किया गया। राजस्थान करणी सेना की ओर से उन्हें परम्परागत सम्मान देते हुए राजस्थानी तरीके से उनकी अगवानी की गई। राजस्थान करणी सेना के शिव सिंह ने माला पहनाकर स्वागत किया। जयपुर के एक सिनेमा हॉल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुनील शेट्टी ने फिल्म के विषय और इसके महत्व पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि हम अपने इतिहास की बात करते हैं, लेकिन हमें वह इतिहास कभी सिखाया ही नहीं गया। हमें अंग्रेजों और मुगलों के बारे में तो बहुत कुछ पढ़ाया गया, लेकिन हमारे वीर योद्धाओं की कहानियां, जिन्होंने अपनी जान देकर देश की रक्षा की, उनकी चर्चा कम ही होती है।

इस फिल्म में न केवल योद्धाओं की वीरता दिखाई गई है, बल्कि उस समय के गांव के लोग, औरतें-मर्द, सभी ने एकजुट होकर जंग लड़ी थी। ऐसी कहानियां सुनकर और उन पर काम करते समय देशभक्ति का एक अलग ही एहसास होता है। उन्होंने आगे कहा कि मेरे लिए देशभक्ति और देश की वर्दी के प्रति एक खास लगाव है। जब भी मैं इस तरह की कहानियां सुनता हूं, मेरे अंदर एक अलग ऊर्जा जागती है।

उन्होंने कहा कि यह फिल्म दर्शकों को भी वैसा ही अनुभव कराएगी। गुजरात की बात करें तो हम अक्सर वहां के व्यापार और परिवार-प्रधान संस्कृति के बारे में सोचते हैं, लेकिन वहां के वीर योद्धाओं की कहानियां अनसुनी रह जाती हैं। ‘केसरी वीर’ उन गुमनाम नायकों को सामने लाने की एक कोशिश है।

अपने किरदार के बारे में बात करते हुए सुनील शेट्टी ने कहा कि मैं सिर्फ यही कहना चाहूंगा कि एक ‘भक्त’ चाहे वह शिव का भक्त हो, बेटी का भक्त हो, या देश का भक्त। जब एक बाप अपनी बेटी का भक्त होता है, तो उससे बड़ा और ताकतवर इंसान कोई हो ही नहीं सकता। ये तीनों भावनाएं मेरे किरदार की खूबसूरती हैं। उस समय मुगलों को भी समझ आ गया था कि ऐसे भक्तों से लड़ना असंभव है। उनकी यह बात दर्शकों में देशभक्ति और पारिवारिक मूल्यों के प्रति गहरे भाव को जगाने वाली थी।

उन्होंने अपने सह-कलाकारों की तारीफ करते हुए कहा कि मैं कभी सीनियर-जूनियर का अंतर नहीं देखता। मेरे लिए महत्वपूर्ण है कि हर कलाकार अपनी पूरी मेहनत और लगन से काम करे। इस फिल्म में हर पहलू, चाहे वह अभिनय हो, सिनेमैटोग्राफी हो, या टीम वर्क, सब कुछ बेहद खास है।

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