नटराज महोत्सव: नाटक ‘खिड़की’ में दिखी संघर्षरत लेखक की जिंदगी की झलक

जयपुर। जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित नटराज थिएटर फेस्टिवल को लेकर रंगकर्म प्रेमियों का जोश देखते ही बनता है। मंगलवार को फेस्टिवल का 5वां दिन रहा। विकास बाहरी के निर्देशन में नाटक ‘खिड़की’ का मंचन हुआ। नाटक में एक लेखक के संघर्षों को मंच पर बयां किया गया। फेस्टिवल के अंतिम दिन बुधवार को शाम 4 बजे संवाद सत्र में लेखक पूर्णेन्दु शेखर, अभिनेता जतिन सरना और स्वप्निल जैन विचार रखेंगे। शाम 7 बजे मनीष वर्मा के निर्देशन में नाटक ‘द जंप’ खेला जाएगा।

निर्देशक विकास बाहरी ने ही इस नाटक की कहानी को लिखा है। 10 साल से यह नाटक थिएटर प्रेमियों की पसंद बना हुआ है जिसके लगभग 80 शो हो चुके हैं। जयपुर में दूसरी बार नाटक खेला गया है। नाटक एक संघर्षरत लेखक की जिंदगी में खिड़की से झांकने की तरह है। मंद-2 लाइट में लेखक अपनी चिंताओं में लेटा हुआ है। सेट पर मौजूद धुआं जैसे उसकी रचनात्मकता पर जमी धुंध है। उसे कहानी लिखनी है जिसके लिए फिलहाल कोई आईडिया मौजूद नहीं है। अपनी रफ्तार में धीरे-धीरे आगे बढ़ता समय उसे डेडलाइन के नजदीक ले जा रहा है जिससे उस पर दबाव बढ़ रहा है। नाटक आगे बढ़ता है। लेखक के संवाद इस तरह है कि मानों दर्शकों से संवाद कर रहा है।

इसी बीच वह अपनी कल्पनाओं के जाल बुनता है। इस बीच वह एक लड़की को बुलाता है उससे बातें करने लगता है। बातचीत का सिलसिला यूं ही आगे बढ़ता है और इसी बीच उसकी कहानी तैयार हो जाती है। मंच पर जतिन सरना और सुगंधा श्रीवास्तव ने किरदार निभाए। लाइट डिजाइनिंग मो. अजहर खान ने की, संगीत संयोजन और प्रोडक्शन क्रमश: प्रदीप नागर और सत्यम यादव का रहा।

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