चिकित्सा मंत्री ने की मौसमी बीमारियों की समीक्षा, चिकित्सा कार्मिकों के अवकाश निरस्त

जयपुर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने प्रदेश में मौसमी बीमारियों पर प्रभावी रोकथाम एवं बेहतर उपचार की दृष्टि से विभागीय अधिकारियों को अलर्ट मोड पर रहते हुए पुख्ता प्रबंधन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। चिकित्सा मंत्री के निर्देशानुसार प्रदेश के बड़े चिकित्सा संस्थान, जहां रोगी भार अधिक है वहां मौसमी बीमारियों के लिए डेडीकेटेड ओपीडी का संचालन किया जाएगा। साथ ही, प्रदेश में चिकित्सकों एवं अन्य स्वास्थ्य कार्मिकों के अवकाश निरस्त किए गए हैं। विभागीय कार्मिक अति आवश्यक स्थिति में सक्षम स्तर से अनुमति उपरांत ही अवकाश पर जा सकेंगे।

खींवसर मंगलवार को स्वास्थ्य भवन में आयोजित बैठक में मौसमी बीमारियों की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में मौसमी बीमारियों के रोगियों को समुचित उपचार सुगमता से मिले। इसके लिए आवश्यकतानुसार अतिरिक्त व्यवस्थाएं की जाएं। बैड्स, दवा एवं जांच आदि को लेकर मरीजों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो। चिकित्सक आवश्यक रूप से चिकित्सा संस्थानों में उपस्थित रहें।

नए पदस्थापन स्थान पर तत्काल करें ज्वाइन

चिकित्सा मंत्री ने कहा कि जिन चिकित्सकों या पैरामेडिकल स्टाफ ने पदोन्नति या पदस्थापन के बाद ज्वाइन नहीं किया है, वे तत्काल रूप से अपने पदस्थापन स्थान पर उपस्थिति दें। उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल, उप जिला अस्पताल, सीएचसी एवं पीएचसी स्तर पर चिकित्सक एवं अन्य कार्मिक पूरी मुस्तैदी के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करें। रोगियों के उपचार में किसी तरह की लापरवाही नहीं हो।

राज्य एवं जिला स्तरीय अधिकारी करें औचक निरीक्षण

खींवसर ने मौसमी बीमारियों की प्रभावी मॉनिटरिंग पर जोर देते हुए कहा कि राज्य स्तरीय एवं जिला स्तरीय अधिकारी चिकित्सा संस्थानों का औचक निरीक्षण कर वहां मौसमी बीमारियों के प्रबंधन की जांच करें। साथ ही, राज्य स्तर पर इस संबंध में नियमित रिपोर्ट प्रेषित की जाए। दवा, जांच किट या अन्य संसाधनों की आपूर्ति निर्बाध रूप से हो। किसी भी तरह की समस्या होने पर तत्काल उच्च स्तर पर अवगत कराया जाए।

संबंधित विभागों के साथ रखें समुचित समन्वय

चिकित्सा मंत्री ने कहा कि मौसमी बीमारियों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए नगरीय निकाय विभाग सहित सभी संबंधित विभागों से भी आवश्यक समन्वय स्थापित किया जाए। साथ ही, व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए आमजन को मौसमी बीमारियों से बचाव के उपाय अपनाने के लिए जागरूक किया जाए।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने कहा कि मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए नियमित समीक्षा की जा रही है। सभी जिलों में अतिरिक्त मेडिकल टीमें लगाकर उपचार एवं बचाव गतिविधियों को व्यापक रूप दिया जा रहा है। साथ ही, मौसमी बीमारियों की स्थिति की जिलेवार समीक्षा कर आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

उन्होंने निर्देश दिए कि मलेरिया, चिकुनगुनिया, स्क्रब टायफस आदि मौसमी बीमारियों से प्रभावित क्षेत्रों में रेपिड रेस्पॉन्स टीमें भ्रमण कर गंभीर रोगी की जांच एवं उपचार प्रदान करें। आवश्यकता होने पर चिकित्सा संस्थान में रेफर करें तथा बचाव व नियंत्रण संबंधी कार्यों यथा एन्टीलार्वल, मच्छर रोधी, फोगिंग, सोर्स रिडक्शन आदि गतिविधियों की गुणवत्ता भी सुनिश्चित करें।

निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ रवि प्रकाश माथुर ने बताया कि चिकित्सा विभाग के निरंतर प्रयासों एवं प्रभावी मॉनिटरिंग से इस वर्ष अधिकांश जिलों में मौसमी बीमारियों के केस विगत वर्ष के मुकाबले आधे हैं। अन्य राज्यों के मुकाबले प्रदेश में मौसमी बीमारियों पर नियंत्रण की स्थिति बेहतर है।

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