राजस्थानी लोक गीत और पाश्चात्य संगीत की जुगलबंदी ने दर्शकों को बनाया दिवाना

जाजम फाउन्डेशन के 17 लोक एवं पाशचात्य् संगीत कलाकारों ने जुगबंदी की

जयपुर। राजस्थान पर्यटन विभाग द्वारा राजस्थान की पारंपरिक और सांस्कृतिक लोक कला एवं कलाकारों के प्रोत्साहन के लिए की गई पहल “कल्चरल डायरीज़”के चौथे संस्करण में शनिवार को अल्बर्ट हॉल पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में पारंपरिक लोक कला और पाशचात्य् संगीत कला की जुगलबंदी देखने को मिली।

इस फ्यूज़न ऑफ राजस्थानी फोक इंस्ट्रूमेंटस् एण्ड वैस्टर्न इंस्ट्रूमेंटस् कार्यक्रम की प्रस्तुति दो भागों में की गई। कार्यक्रम के प्रथम भाग में राजस्थान की 4 पारंपरिक जातियां, मांगणियार, लंगा, दमामी और सपेरा की प्रस्तुतियां हुईं। इन लोक गीतों के प्रस्तुतिकरण में कामायचा, सिंधि सारंगी, ढोलक, ढोल, भपंग, मोरचंग, खड़ताल, नगाड़ा आदि वाद्य् यंत्रों का उपयोग किया गया। कार्यक्रम का पहला भाग लगभग 45 मिनिट का रहा।

कार्यक्रम का दूसरा भाग भी अत्यंत मनमोहक रहा। कार्यक्रम के इस भाग में राजस्थानी लोक कलाकारों के केसरिया बालम, झिरमिर बरसे मेह, पणिहारी और एक सूफी गीत आदि पाश्चात्य वाद्य यंत्रों के साथ जुगलबंदी प्रस्तुत की गई। जिसने दर्शकों को दिवाना बनाकर झूमने पर विवश कर दिया।

जाजम फाउन्डेशन के निदेशक विनोद जोशी और उनके 17 लोक एवं पाश्चात्य कालाकारों द्वारा की गई। जयपुर के अल्बर्ट हॉल पर आम जनता के साथ-साथ बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानियों ने भी इस रंगारंग कार्यक्रम का आन्नद लिया। इस अवसर पर पर्यटन विभाग की संयुक्त निदेशक, डॉ पुनीता सिंह, उप निदेशक नवल किशोर बसवाल सहित विभाग के अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी उपस्थित रहे।

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