ये संग्रहालय ही नहीं, अपितु ज्ञान का भंडार भी है… 139 सालों में इनसे देखे कई बदलाव

अल्बर्ट हॉल संग्रहालय का 139वां स्थापना दिवस आज

इस इमारत ने सालों से सहेज रखा है बहुमूल्य इतिहास, जिसके भारतीय ही नहीं बल्कि विदेशी भी कायल

139 साल पुरानी इस इमारत में 2400 साल से भी ज्यादा पुरानी इजिप्ट की ममी आकर्षण का केंद्र

जयपुर। तकनीक के जमाने में हर क्षेत्र में बदलाव देखे जा रहे हैं। एजुकेशन, मेडिकल सहित अन्य क्षेत्रों ने अब हाईटेक राह पकड़ ली है। पुरातत्व विभाग का संरक्षित अल्बर्ट हॉल संग्रहालय भी अब इस राह पर चल पड़ा है। यहां घरेलू और विदेशी पाँवणों को बेहतर तरीके से जानकारी मिल सके, इसके लिए संग्रहालय की विभिन्न गैलरियों में डिस्प्ले की गई एंटीक चीजों के पास क्यूआर कोड स्कैनर लगाएं हैं, ताकि पर्यटक इन्हें स्कैन कर जानकारी प्राप्त कर सकें।

कहा जाए तो 21 फरवरी, 1887 को ये संग्रहालय पर्यटकों के देखने के लिए खोला गया था। जिसे 21 फरवरी, 2025 को 139 साल पूरे हो गए हैं। इन सालों के दौरान संग्रहालय ने कई बदलाव भी देखें हैं। इनमें डिस्प्ले में बदलाव के साथ ही नई नई एंटीक वस्तुओं को डिस्प्ले करने की योजना भी शामिल रही है। साल 1887 में चार गैलरियों से शुरू हुआ संग्रहालय का सफर साल 2025 तक पहुंचते पहुंचते 18 गैलरियों तक पहुंच गया है।

अब यहां डिस्प्ले की गई 2600 विभिन्न एंटीक वस्तुएं पर्यटकों को ना केवल आकर्षित करती हैं, बल्कि पुराने समय के राजा महाराजाओं के समय के इतिहास से भी मुखातिब करती है। ये केवल एक संग्रहालय भर नहीं है, एक ज्ञान का भंडार भी है, जो पर्यटकों को पुराने समय की कला संस्कृति से मुखातिब करा रहा है।

इनका कहना…

संग्रहालय एक पर्यटन स्थल ही नहीं अपितु ज्ञान का भंडार भी हैं। यहां टूरिस्टों को सालों पुरानी संस्कृति के बारे में जानने और समझने का मौका मिलता है। बदलते समय के साथ इसके डिस्प्ले में कई अच्छे परिवर्तन भी किए गए हैं।

संजय कौशिक, फाउंडर, फ्रेंड्स ऑफ फोर्ट राजस्थान

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