राजस्थानी संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहरों के साथ अब आध्यात्मिक अनुभव भी बन रहा विदेशी पर्यटकों की पसंद
जयपुर। गुलाबी नगरी की पहचान केवल किलों, महलों और राजसी आतिथ्य तक सीमित नहीं रही, अब यह आध्यात्मिक चेतना का केंद्र भी बनता जा रहा है। जयपुर की ओर रुख करने वाले विदेशी पर्यटक अब सिर्फ वास्तुकला, खानपान और संस्कृति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे भारतीय अध्यात्म की गहराइयों में भी उतरना चाहते हैं। मन की शांति की तलाश में अब जयपुर एक नया ठिकाना बनता जा रहा है।
हाल ही में रूस से आए एक पर्यटक दल ने जयपुर की ऐतिहासिकता से इतर एक आध्यात्मिक अनुभव को अपनाया। इन पर्यटकों ने जलमहल के पीछे स्थित संकटमोचन हनुमान मंदिर में दो घंटे तक विधिवत पूजा-अर्चना की। इस अनूठे आयोजन को राजपूताना हॉलिडे मेकर्स द्वारा पर्यटकों की विशेष मांग पर आयोजित किया गया।

पर्यटन विशेषज्ञ संजय कौशिक के अनुसार, इस आयोजन का उद्देश्य भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करना था। उन्होंने बताया कि पूजा अनुष्ठान पंडित युगराज शर्मा और पांच अन्य विद्वान पंडितों द्वारा संपन्न करवाया गया। खास बात यह रही कि प्रत्येक मंत्रोच्चारण के साथ पर्यटकों को उसका अर्थ, भाव और आध्यात्मिक महत्व भी समझाया गया, जिससे वे भारतीय संस्कृति से गहराई से जुड़ सकें।
संजय कौशिक बताते हैं कि विदेशी मेहमान भारतीय संस्कृति की समृद्धता से काफी प्रभावित होते हैं, विशेष रूप से जब बात वेदों, पुराणों, रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों की आती है। ऐसे आयोजनों के माध्यम से न केवल भारत की आध्यात्मिक विरासत का प्रचार होता है, बल्कि पर्यटकों को एक आंतरिक संतुलन और शांति का अनुभव भी मिलता है।
अब जयपुर की यात्रा केवल महलों की तस्वीरों या हस्तशिल्प की खरीदारी तक नहीं सिमटी है, बल्कि आध्यात्मिक अनुभव एक नया आकर्षण बनकर उभरा है। यह बदलती पर्यटन सोच भारत की सशक्त सांस्कृतिक पहचान की ओर संकेत करती है, जहां आध्यात्मिकता और परंपरा आधुनिक यात्रा का हिस्सा बन रही हैं।