मधुरम महोत्सव के दूसरे दिन लोकनृत्य और गायन ने बांधा समां
जयपुर। जवाहर कला केंद्र में मंगलवार को मधुरम महोत्सव के दूसरे दिन मंच पर लोक संस्कृति का अनोखा रंग बिखरा। पारंपरिक वेशभूषा में सजे कलाकारों ने राजस्थानी लोकनृत्यों और गीतों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर लोकनृत्य कार्यशाला का समापन समारोह भी आयोजित हुआ, जो 4 अगस्त से नृत्य गुरु पं. राजेन्द्र राव के निर्देशन में संचालित हो रही थी।
करीब 40 प्रतिभागियों ने समूह में मनोहारी प्रस्तुतियां दीं। ‘बाजै छै नोबत बाजा म्हारा डिग्गीपुरी का राजा’ गीत पर पदयात्रा का दृश्य साकार हुआ। इसके बाद डांडिया, चिरमी नृत्य, और राधा-कृष्ण भजनों पर आधारित नृत्य ने वातावरण को कृष्णमय बना दिया। भवाई नृत्य ने दर्शकों को रोमांचित किया, जबकि घूमर की प्रस्तुति ने कार्यक्रम को यादगार बना दिया।
गायन और संगीत संगत में रमेश मेवाल, ऋषि शर्मा और कमल राणा ने अपना योगदान दिया। कार्यशाला में प्रीति मारवाल सह-प्रशिक्षक रहीं। गौरतलब है कि महोत्सव के तीसरे दिन 20 अगस्त को रंगायन सभागार में शाम 6:30 बजे वृंदावन के कलाकार नृत्य नाटिका ‘भ्रमर’ प्रस्तुत करेंगे, जिसका लेखन छैल बिहारी उपाध्याय ‘छैल’ और निर्देशन प्रो. दिनेश खन्ना ने किया है।