मंच पर जीवंत हुई इंसानियत और समाज के प्रति समर्पण की मिसाल
जयपुर। जवाहर कला केंद्र में पाक्षिक नाट्य योजना के अंतर्गत पहले दिन बुधवार को नाटक ‘नज़ीरनामा’ का मंचन हुआ। नाटक का लेखन व निर्देशन बिशना चौहान ने किया है। इस प्रस्तुति के माध्यम से इतिहास प्रसिद्ध शायर नज़ीर अकबराबादी के जीवन और विचारों पर प्रकाश डाला गया। नज़ीर जिन्होंने भारतीय संस्कृति और त्योहारों पर नज़्में लिखी और समाज की हर छोटी-बड़ी ख़ूबी को कविताओं में तब्दील कर दिया। इसी कड़ी में योजना के दूसरे दिन गुरुवार को विजय, कमलेश एवं कल्पना के निर्देशन में नाटक ‘नेक चोर’ का मंचन होगा।
रंगायन में हुए नाटक में प्रसिद्ध कवि नज़ीर की मानवीय सोच और समाज के प्रति समर्पण को दर्शाया गया। यह प्रस्तुति उस दौर की कहानी कहती है जब उनके क्षेत्र में अकाल और संकट छा गया था। लोग भूख से बेहाल थे और अपनी भेड़-बकरियां तक बेचने को मजबूर थे। इस कठिन समय में नज़ीर न केवल अपने लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए आगे आते हैं। जब उनकी पत्नी बची हुई एक जोड़ी पायल बेचने की बात करती हैं, तो नज़ीर उसे समाज के कल्याण हेतु एक चादर पर रख देते हैं और लोगों से दान की अपील करते हैं।
नाटक की निर्देशिका बिशना चौहान ने इस प्रस्तुति पर कहा कि, न हिंदू बन, न मुसलमान बन, न मुल्ला बन, न पंडा बन, जिस ज़ात पर मर मिटे खुदा, ऐ आदम तू वो इंसान बन।
नाटक में प्रमुख भूमिकाओं में नज़ीर – संदीप शर्मा रहे व इनके अलावा निर्मल तिवारी, रूपेश, गुंजन, शगुन, मिष्ठी, खुशबू, प्रीति, शांतनु, गौरव, प्रवीण, नितेश, मिलन और अक्षत ने अभिनय किया। तकनीकी टीम में लाइटिंग संभाली राम बाबू, संगीत श्रुति धर्मेश, सेट डिजाइन दिनेश नायर और कॉस्ट्यूम का कार्य गौरव का रहा।