जयपुर। मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष द्वादशी व्यंजन द्वादशी के रूप में मनाई जाएगी। ठाकुरजी को मेवा मिश्रित मोटे अनाज के खीचड़े सहित कई प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा। मुख्य आयोजन उत्सव के रूप में गोविंद देवजी मंदिर में होगा।
मंदिर के सेवाधिकारी मानस गोस्वामी ने बताया कि व्यंजन द्वादशी को मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में ठाकुर श्रीजी की विशेष उत्सव झांकी के दर्शन होंगे। इसका समय मध्याह्न 12 से 12:30 बजे तक रहेगा। इस झांकी में ठाकुर श्रीजी को 25 प्रकार के कच्चा भोग व्यंजन तथा छप्पन भोग ग्रहण कराते हुए के अद्भुत दर्शन होंगे। व्यंजन द्वादशी के भोग में खीचड़ा, बड़े और राधा रानी का प्रिय अरबी भोग मुख्य रहेंगे।
कुल भोग की संख्या होगी 101
दर्शनार्थियों को करीब सौ किलो विशेष खीचड़े का प्रसाद मंदिर कार्यालय के बाहर राजभोग झांकी के बाद वितरित किया जाएगा। विशेष झांकी होने के कारण इस दिन राजभोग झांकी के दर्शन होना संभव नहीं होगा। अन्य सभी झांकियों का समय यथावत रहेगा।
गर्भगृह में शुरू होगी अंगीठी सेवा
मंगला झांकी के बाद ठाकुर श्रीजी का वैदिक मंत्रोचारण के साथ पंचामृत अभिषेक किया जाएगा। नवीन पीली केसरिया पोशाक और अंगरखी पोशाक धारण कराई जाएगी। विशेष अलंकार से श्रृंगार किया जाएगा। इस दिन से ठाकुर श्रीजी को हाथों में दस्ताने, श्री चरणों में मोजे एवं गुलीबंद (मफलर) धारण कराया जाएगा। गर्भगृह में अंगीठी की सेवा प्रारंभ हो जाएगी।
इसी दिन हुआ था मत्स्य अवतार
ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि व्यंजन द्वादशी को दान द्वादशी और मत्स्य द्वादशी भी कहा जाता है। मत्स्य द्वादशी भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु ने मछली का रूप लेकर राक्षस हयग्रीव को मारा था और वेदों की रक्षा की थी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है। निम्बार्क संप्रदाय के श्रद्धालु इस दिन मोक्षदा एकादशी का व्रत भी रखते हैं।