कैलाश को उठाने के प्रयास की अनूठी झलक
जयपुर। राजस्थान का आभानेरी अपने ऐतिहासिक महत्व और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। यहीं स्थित है 8वीं शताब्दी की अद्भुत रावणानुग्रह मूर्ति, जो बलुए पत्थर से निर्मित है और अपने समय की कलात्मक परंपरा का शानदार उदाहरण प्रस्तुत करती है। ये मूर्ति वर्तमान में पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के जयपुर में संरक्षित अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में प्रदर्शित है।
मूर्ति में लंकेश रावण को कैलाश पर्वत उठाने का प्रयास करते दर्शाया गया है। कथा अनुसार, शिवभक्त रावण कैलाश पर भगवान शिव के दर्शन करने पहुंचा, परंतु द्वारपालों ने उसे रोक दिया। इससे क्रोधित होकर उसने पूरे कैलाश पर्वत को ही उठाने का प्रयत्न किया। तभी भगवान शिव ने अपने अंगूठे से पर्वत दबा दिया और रावण को अपनी भूल का अहसास हुआ। पश्चाताप में उसने 1000 सालों तक शिव की तपस्या की।
यह विषय भारतीय शिल्पियों के लिए सदियों तक प्रेरणा बना। मध्यकाल में बनी अनेक मूर्तियों में यह कथा जीवंत हुई, जिनमें एलौरा, एलीफेंटा, हलेबिद, वेलूर और खजुराहो की मूर्तियां प्रमुख हैं।
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