पद्मश्री पं. ऋत्विक सान्याल के स्वरों ने बुना अनुपम ताना-बाना, ‘जयपुर ध्रुवपद फेस्टिवल’ का समापन

जयपुर। जवाहर कला केंद्र में आयोजित दो दिवसीय ‘जयपुर ध्रुवपद फेस्टिवल’ का रविवार को समापन हुआ। इस दौरान दिग्गज और युवा कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से संगीतप्रेमियों को भाव-विभोर कर दिया।

सुबह के सत्र की शुरुआत कोलकाता की युवा गायिका अपराजिता चक्रवर्ती ने राग भैरव और शिव स्तुति से की। उनके साथ पखावज पर ऐश्वर्य आर्य ने सधी हुई संगत दी। इसके बाद संवाद प्रवाह सत्र में पद्मश्री पं. ऋत्विक सान्याल, डॉ. राजेश व्यास, डॉ. गौरव यादव और पं. आलोक भट्ट ने ध्रुपद की परंपरा, संरक्षण और भविष्य पर अपने विचार रखे। पं. सान्याल ने कहा कि बाबा बहराम खां डागर ने जयपुर में रहते हुए ध्रुपद को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और आज उनकी 20वीं पीढ़ी इस परंपरा को आगे बढ़ा रही है।

शाम की संध्या में उस्ताद नफीसउद्दीन डागर और अनीसउद्दीन डागर ने राग अद्भुत कल्याण प्रस्तुत किया। उनकी चौताल की बंदिश ‘जब करत रंग में आओ…’ ने श्रोताओं को आत्मविभोर कर दिया। डागरवाणी की गहराई और आलापकारी ने पूरे माहौल को सुरमयी बना दिया।

फेस्टिवल के समापन पर बनारस के कलाकार पद्मश्री पं. ऋत्विक सान्याल ने अप्रचलित राग वागधीश्वरी और राग जयंत मल्हार प्रस्तुत कर संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पखावज पर पं. प्रवीण कुमार आर्य की उम्दा संगत ने प्रस्तुति को और भव्य बना दिया।

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