उज्जैन। सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के परिभ्रमण के कारण शनिवार को सूर्य मकर रेखा पर लम्बवत् रहा। आज सूर्य की क्रान्ति 23 अंश 26 कला 16 विकला दक्षिण थी। जिससे भारत सहित उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित देशों में सबसे छोटा दिन तथा सबसे बड़ी रात रही। आज उज्जैन में सूर्योदय 7 बजकर 04 मिनट तथा सूर्यास्त 5 बजकर 45 मिनट पर हुआ। जिससे उज्जैन में दिन की अवधि 10 घन्टे 41 मिनट तथा रात की अवधि 13 घन्टे 19 मिनट की रही। आज सूर्य ने सायन मकर राशि में प्रवेश किया। आज के बाद सूर्य की गति उत्तर की ओर दृष्टिगोचर होना प्रारम्भ हो जाती है, जिसे सायन उत्तरायन का प्रारम्भ कहते हैं। सूर्य की उत्तर की ओर गति होने के कारण अब उत्तरी गोलार्द्ध में दिन धीरे-धीरे बड़े होने लगेंगे तथा रात छोटी होने लगेगी। 20 मार्च 2025 को सूर्य विषुवत रेखा पर लम्बवत् होगा। तब दिन-रात बराबर होंगे।
इस घटना को वेधशाला में शंकु यन्त्र के माध्यम से प्रत्यक्ष देखा गया। आज शंकु की छाया सबसे लम्बी होकर पूरे दिवस मकर रेखा पर गमन करती हुई दृष्टिगोचर हुई। अधिक संख्या में पर्यटकों ने इस खगोलीय घटना को प्रत्यक्ष रूप से देखा।
स्कूल शिक्षा विभाग के 5 विद्यालयों से 57 विद्यार्थियों एवं 6 शिक्षकों ने वेधशाला द्वारा आयोजित खगोल दिवस एवं राष्ट्रीय गणित दिवस के कार्यक्रम में सहभागिता की। इन विद्यार्थियों को प्राचीन यन्त्रों एवं नक्षत्र वाटिका से खगोलीय अवलोकन करवाकर इन्हें तारामण्डल, सी.डी. शो, कार्यशील मॉडल एवं व्याख्यान के माध्यम से खगोलीय जानकारी प्रदान की गई।
विद्यार्थियों के लिए खगोलीय ज्ञान परीक्षा का भी आयोजन किया गया। खगोलीय ज्ञान परीक्षा में प्रथम स्थान आदित्य शर्मा एवं द्वितीय स्थान सतीश कुसमरिया शा. उत्कृष्ट उ.मा.वि. तराना तथा तृतीय स्थान प्रवीणा प्रजापत शा.उत्कृष्ट उ.मा.वि. घट्टिया ने प्राप्त किया। इन प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र एवं पुरस्कार प्रदान किए। शेष सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण-पत्र प्रदान किए।
शा.जीवाजी वेधशाला उज्जैन के अधीक्षक डॉ राजेन्द्र प्रकाश गुप्त ने बताया कि समापन कार्यक्रम वेधशाला के सभाकक्ष में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. मोहन गुप्त पूर्व कुलपति महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन, विशिष्ट अतिथि गोविन्द गन्धे निदेशक, कालिदास अकादमी उज्जैन थे। अध्यक्षता वेधशाला अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र प्रकाश गुप्त ने की। इस अवसरकपार डॉ. मोहन गुप्त ने कहा कि खगोल एवं भूगोल का अन्तर स्पष्ट करते हुए प्राचीन भारतीय ज्ञान-विज्ञान परम्परा के उदाहरणों से पृथ्वी, सूर्य एवं आकाश गंगा की गतियों को स्पष्ट किया। आपने ब्रह्मा की आयु को भी स्पष्ट किया। डॉ. गंधे द्वारा भारतीय युग की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए बताया कि सारा ज्ञान वेदों में निहित है एवं वेदांग का मुख्य आधार गणित है। हमारे पूर्वजों ने धरती पर यन्त्र बनाकर अंतरिक्ष का ज्ञान हमें दिया।