‘काव्य कथा’ ने रचा भाव, लय और दर्शन का अद्भुत संगम

गीता चंद्रन के भरतनाट्यम से गूंजा राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर, मिथकों से लेकर पर्यावरणीय चेतना तक का कलात्मक अभिव्यक्ति

जयपुर। राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर का मुख्य सभागार भारतीय शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम की अनुपम छटा से सराबोर हो गया। सोमवार को पद्मश्री और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित नृत्यांगना गीता चंद्रन ने अपनी मंडली ‘नाट्य वृक्ष’ के साथ प्रस्तुति ‘काव्य कथा’ दी, जिसने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया।

करीब डेढ़ घंटे चली इस प्रस्तुति में गीता चंद्रन ने नृत्य के नाट्यम पक्ष को जीवंत किया। भाव, राग और ताल के संगम से रची गई कथाओं में भगवद्गीता के श्लोक, भागवत पुराण, देवी परंपरा, और शिव स्तुति से लेकर कालिदास के वसंत आगमन तक की झलकियां दिखाई दीं।

विशेष आकर्षण रहा पंचमहाभूतों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश की प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति। जिसने प्रकृति और मानव के रिश्ते को नई संवेदना दी। नृत्य में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय सरोकार भी पिरोए गए, जिससे यह प्रस्तुति केवल सौंदर्यबोध नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना का भी संदेश बन गई।

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