फिल्में देखने का शौक हर हिन्दुस्तानी को है…
जयपुर। मैं फिल्मों के सीक्वल्स बनाए में ज्यादा इंट्रस्टेड नहीं रहता। क्योंकि मुझे लगता है इसका एक अलग ही मार्केट होता है और इसमें मुझे मजा नहीं आता। कभी कोई ऐसी स्टोरी पर फिल्म बनाऊ और लगे कि स्टोरी की मांग है सीक्वल बनाने की तो जरूर इस बारे में सोचूंगा। फिल्म डायरेक्टर इम्तियाज अली ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में मीडिया से मुखातिब होते हुए ये बात कही।
उन्होंने कहा कि जो लोग लिखने और फिल्मों में रुचि रखते हैं। उन्हें थियेटर जरूर करना चाहिए। क्यूंकि ये एक ऐसा शुद्ध माध्यम है जिसमें आप ढलकर सिनेमा को समझ सकते हैं।
उन्होंने सोमवार को एक सत्र में हिस्सा लेने के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि मैं अपने आप को लकी मानता हूं कि मैंने फिल्मों का वो पुराना दौर देखा है। जहां फिल्में कैसे दिखाई जाती थीं, उसके लिए कैसे तैयारी की जाती थीं, लोगों में फिल्मस के प्रति कितना क्रेज रहता था।
इम्तियाज अली ने कहा कि फिल्में देखने का शौक हर हिन्दुस्तानी नागरिक को होता है। उन्होंने कहा कि जब मैं छोटा था और हाफ पेंट पहनता था तब मुझे भी सिनेमा हॉल में काम करने वाले लोगों के साथ काम करने का मौका मिल जाया करता था। क्यूंकि बचपन में मेरे रिश्तेदारों के सिनेमा हॉल हुआ करते थे। जहां में पांच मिनट, दस मिनट, पन्द्रह मिनट या एक घंटा जितना भी समय मिलता था, वहां गुजारा करता था। वहां मैं दिलचस्ती के साथ देखा करता था कि पर्दे पर फिल्म चलाने के लिए लाइट, रोल्स कैसे लगाए जाते थे। लोगों को काम करता देख मुझे भी उनका हाथ बटाने में मजा आता था। इसलिए मैं अपने आपको बहुत खुशनसीब मानता हूं कि मैंने भी वो पुराने दौर देखें हैं।