जयपुर। आज के युवा सिर्फ वाइरल होने की होड़ में लगे हुए है जबकि जरुरत है कि अपने काम और स्वाभाव में धैर्य लाए, ये कहना था हिन्दी कवि, वक्ता और सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ता डॉ कुमार विश्वास का। मौका था शहर में डमरू एप की ओर से आयोजित हुए स्वर संवाद कार्यक्रम का। आरआईसी में हुए इस कार्यक्रम में डॉ विश्वास के साथ ही देश के जाने-माने म्यूजिक कंपोजर, लेखक और गायक अनूप जलोटा, पंडित विश्व मोहन भट्ट, साजिद वाजिद, कूटले खान सहित म्यूजिक इंडस्ट्री विशेषज्ञों में के.सी मालू, आदित्य गुप्ता, दुर्गाराम चौधरी, राम मिश्रा, राहुल राजपुरोहित ने इंडस्ट्री के उभरते टैलेंट से मुलाकात की।
कार्यक्रम की शुरुआत में डमरू म्यूजिक एप के फाउंडर सीईओ राम मिश्रा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि शहर में आयोजित हो रहे अपने आप में पहले इस तरह का कार्यक्रम अच्छे बदलावों की ओर एक कदम है। जहां भारत के इतने बड़े म्यूजिक क्षेत्र के लोग नव कलाकारों के समक्ष उपस्थित है साथ ही उन्हें इंडस्ट्री की समझ और बारीकियों से रूबरू कर रहे है।
ऑरिजिनल की उम्र लम्बी होती है, वाइरल अक्सर लोग जल्दी भूल जाते है
डॉ विश्वास ने मंच की कमान अपने हाथ में लेते हुए सभी नव कलाकारों को मोटीवेट किया और साथ ही अपने कुछ खास टिप्स उनसे साझा किए। उन्होंने बताया कि आज की युवाओं में धैर्य की कमी से कला का रूप बदल सा गया है। कुछ ऐसे की-वर्ड्स इस्तेमाल करते है जिससे संगीत या कविता बस सोशल मीडिया पर वाइरल हो जाए, मगर वे ये भी जानते है कि वाइरल होने वाली चीज़े अक्सर जल्दी गायब हो जाती है इसलिए रीमिक्स और रीमेक करने की जगह अपने खुद का ऑरिजिनल कंटेंट बनाए। आज टेक्नोलॉजी से जिस तरह की मदद युवाओं और नव कलाकारों को मिल रही है वे सब हमारे दौर में नहीं था। उनका सही उपयोग लीजिए, दूसरों से प्रेरणा लीजिए उन्हें कॉपी करने की होड़ में न लगे।
अच्छे ह्यूमर से जोड़े दर्शक, भावनाओं पर रखे काबू
कार्यक्रम में चार टॉक पैनल का आयोजन हुआ जिसमें पहले पैनल में साजिद खान, पंडित विश्व मोहन भट्ट, अनूप जलोटा, कुटले खान और हनी ट्रूपर से मॉडरेटर सुमित ने चर्चा की। इस दौरान अनूप जलोटा ने बताया कि ऑडियंस को अच्छे ह्यूमर से जोड़े। अपने सबसे अच्छे कंटेंट को पहले लोगों के सामने पेश करे वार्ना ऑडियंस बोर हो जाती है। मैंने देखा है आजकल के कुछ युवा आर्टिस्ट अपने बारे में ज्यादा बात करना पसंद करते है मगर कोशिश करिए आप मंच पर अपनी ऑडियंस से ज्यादा से ज्यादा बाते करे, उनसे जुड़ने की कोशिश करे। मॉडरेटर के एक सवाल पर जलोटा ने मनोज मुंतशिर से जुड़े एक किस्से का जिक्र करते हुए उदाहरण के तौर पर कहा कि जब मनोज मेरे पास आए और अपना कंटेंट मुझे सुनाया तो मुझे उनका लेखन कुछ खास पसंद नहीं आया मगर उनके अलफ़ाज़ में जो ह्यूमर और जुड़ाव था उससे मुझे समझ आ गया था कि वे काफी नाम कमाएंगे।
चर्चा में साजिद खान ने कहा कि आर्टिस्ट चाहे कैसा भी हो उनको अपनी भावनाओं पर काबू करना आना चाहिए। साथ ही सभी आर्टिस्ट्स में गिविंग एटीट्यूड होना बहुत जरुरी है। सीखना बंद मत करिए और ये बिलकुल मत समझिये कि अगर कुछ काम प्रसिद्ध हो गया है तो आप सब कुछ जानते है बल्कि अपने आप को और निखारिए। इस दौरान पंडित विश्व मोहन भट्ट ने ऑडियंस को राग और अलाप लगाने की कला सिखाई। जहां उन्होंने स्वरों का ठीक से उच्चारण करना साथ ही सुर-ताल की समझ और बारीकियों को गहनता से बताया। कुटले खान ने राजस्थानी फोक संगीत की जानकारी साझा की तो वहीं हनी ट्रूपर ने आर्टिस्ट्स को अपनी ओवरआल प्रेजेंटेशन पर काम करने की सलाह दी।