ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन 2026 पेंच टाइगर रिज़र्व से हुआ शुरू

एमपी। भारत में बाघों की गणना के लिए दुनिया का सबसे बड़ा सर्वेक्षण ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन (AITE) 2026 सोमवार को मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिज़र्व से शुरू हो गया। इस मौके पर ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर्स वर्कशॉप का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर के विशेषज्ञ और अधिकारी शामिल हुए।

22 टाइगर रिज़र्व के अधिकारी ले रहे प्रशिक्षण

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण #NTCA और वन्यजीव संस्थान, देहरादून #WII के नेतृत्व में चल रहे इस अभियान में 22 टाइगर रिज़र्व से आए अधिकारी भाग ले रहे हैं। उन्हें बाघों की सटीक गणना और वन्यजीवों की निगरानी के आधुनिक तरीकों की ट्रेनिंग दी जा रही है।

नई तकनीक से होगी सटीक गिनती

अधिकारियों को डिजिटल मॉनिटरिंग, लाइन ट्रांसेक्ट्स, हैबिटेट सर्वे और कैमरा ट्रैपिंग जैसे आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों का अभ्यास कराया जा रहा है। इन तकनीकों से बाघों की वास्तविक संख्या का पता लगाने में मदद मिलेगी और संरक्षण रणनीतियों को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा।

संरक्षण के लिए गिनती आवश्यक

विशेषज्ञों का कहना है कि यह सर्वे केवल बाघों की गिनती नहीं है, बल्कि उनके वास-स्थल की स्थिति, शिकार प्रजातियों की उपलब्धता और पर्यावरणीय संतुलन की भी अहम जानकारी देगा। इसी आधार पर आने वाले वर्षों के लिए बाघ संरक्षण की नीतियां तय की जाएंगी।

डॉ. बिलाल हबीब ने दी वैज्ञानिक पद्धतियों और संरक्षण पर महत्वपूर्ण जानकारी

ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन (AITE) 2026 के तहत पेंच टाइगर रिज़र्व में आयोजित दूसरे प्रशिक्षण सत्र का नेतृत्व डॉ. बिलाल हबीब, नोडल ऑफिसर, टाइगर सेल, NTCA ने किया। इस दौरान उन्होंने बाघ संरक्षण और मॉनिटरिंग से जुड़ी अहम जानकारियां साझा कीं। डॉ. हबीब ने बताया कि गणना में किन-किन बिल्ली प्रजातियों (cat species) को शामिल किया जाता है। उन्होंने सैंपलिंग में आने वाली चुनौतियों के बारे में भी जानकारी दी।

डॉ. विष्णुप्रिया कोलिपाकम ने साझा किए 2022 के अनुभव

ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन (AITE) 2026 के तहत पेंच टाइगर रिज़र्व में आयोजित तीसरे प्रशिक्षण सत्र का संचालन डॉ. विष्णुप्रिया कोलिपाकम, एसोसिएट नोडल ऑफिसर, टाइगर सेल एवं वैज्ञानिक, वाइल्डलाइफ़ इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया ने किया। उन्होंने ‘ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन 2022 से मिली सीख’ विषय पर विस्तृत व्याख्यान दिया।

भविष्य की राह के लिए मजबूत नींव

डॉ. कोलिपाकम ने बताया कि 2022 के सर्वेक्षण से मिली मुख्य जानकारियों और चुनौतियों ने बाघ संरक्षण की नीतियों और कार्यप्रणालियों को नया दृष्टिकोण दिया है। इन अनुभवों का उपयोग अब 2026 की गणना को और अधिक सटीक, वैज्ञानिक और प्रभावी बनाने के लिए किया जा रहा है।

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