मनोज वार्ष्णेय, जयपुर। शिवधाम पूरे भारत में फैले हैं और सभी का अपना-अपना महत्व है। पंच केदार-केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर तथा कल्पेश्वर हैं तो पंच कैलाश हैं आदि कैलाश, कैलाश मानसरोवर, मणि महेश, श्रीखंड महादेव तथा किन्नौर कैलाश। इसी तरह से 12 ज्योतिर्लिंग हैं सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, भीमाशंकर, काशी विश्वानाथ, त्रयम्केश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर तथा धुश्मेश्वर तथा केदारनाथ। इसके अतिरिक्त अमरनाथ की यात्रा भी शिव भक्तों के लिए अपना महत्व रखती है।
कैलाश मानसरोवर जाना हर भारतीय का सपना होता है पर यहां जाने में जो दुश्वारियां हैं उसके कारण शिवभक्त आदि कैलाश जाकर अपनी इच्छा पूरी करते हैं। लेकिन कहा जाता है यहां वही आ सकता है जिसे शिव बुलाते हैं। कहा जाता है कि यहां पर शिव अपने परिवार के साथ सांसारिक रूप से निवास करते हैं और जो कोई भी उनके दर्शनों को यहां आता है उसके सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं। भगवान शिव ने यहां पर ध्यान और योग का अभ्यास किया था। जब कैलाश मानसरोवर से उनकी बारात निकली थी तो यहां पर उसने त्रियुगीनारायण मंदिर पहुंचने से पहले विश्राम किया था।
कैसे जाएं: आदि कैलाश जाने के लिए दो रास्ते हैं। एक काठगोदाम से और दूसरा सीधे धारचूला से। आप किसी भी रास्ते से जाइए, आपकी मुख्य यात्रा धारचूला से ही आरंभ होती है। धारचूला कैलाश मानसरोवर यात्रा के साथ ही आदि कैलाश यात्रा का भी आधार केन्द्र है। यात्रा आरंभ करने से पहले जागेश्वर धाम जाना जरूरी माना जाता है। कहते हैं कि यह धाम जागृतधाम है और सनातन काल में जब भक्त मानसरोवर या आदि कैलाश की यात्रा करते थे तो यहीं से उसे आरंभ माना जाता था। काठगोदाम पूरे देश के रेल नेटवर्क से जुड़ा है और उत्तराखंड के कुमायूं मंडल का आखिर रेलवे स्टेशन है। बसों की सुविधा दिल्ली के साथ ही लगभग हर राज्य की राजधानी से है। निकटतम हवाई अड्डा जौली ग्रांट या पंत नगर है।
कब जाएं: आदि कैलाश की यात्रा चारधाम यात्रा आरंभ होने के साथ ही आरंभ होती है। चूकि यह दुर्गम क्षेत्र है इसलिए कुमायूं मंडल विकास निगम और स्थानीय सरकार इसकी तिथियां घोषित करती है जो मई के आरंभ से लेकर जून तक और फिर बरसात के बाद सितंबर से नंबवर तक हो सकती हैं। इस बार यह यात्रा मई में पहले सप्ताह में आरंभ होगी।
यात्रा की चुनौतियां और ट्रैकिंग: आदि कैलाश यात्रा केदारनाथ तथा अमरनाथ यात्रा की चुनौतियों से कम परेशानी भरी है। आदि कैलाश की यात्रा पिथौरागढ़ जिले के अंतर्गत होती है और यहां पर वाहन से आसानी से जाया जा सकता है। जहां तक ट्रैकिंग का प्रश्र है तो यह आदि कैलाश पर्वत के पास पार्वती कुंड तथा उससे आगे गौरी कुंड तक है पर दो-तीन किलोमीटर का ही ट्रैक है।
आवश्यक तैयारियां: आदि कैलाश की यात्रा भारत, चीन तथा तिब्बत के क्षेत्रों में होती है इसलिए यह एक संवेदनशील यात्रा मानी जाती है। यहां जाने के लिए इनरलाइन परमिट बनवाना होता है। यह धारचूला में एसडीएम कार्यालय से बनवाया जा सकता है। आपका मेडिकली फिट होना जरूरी होता है इसलिए उसके बिना इनरलाइन परमिट नहीं बनता। मेडिकल प्रमाण पत्र के अतिरिक्त आपके स्थानीय निवास के पुलिस थाने से आपका पुलिस वैरीफिकैशन और एक शपथ पत्र भी लिया जाता है जिसमें यात्रा के दौरान होने वाली किसी भी घटना-दुर्घटना के लिए कौन जिम्मेदार होगा ये होता है। जो सबसे जरूरी बात है वह यह कि यात्रा में कोविड नियम फालो करने की शर्त अभी भी लागू होती है।
दर्शनीय स्थल: वैसे तो यह यात्रा ही अपने आप में अत्यंत रमणीय क्षेत्र में होती है,लेकिन जब आप काठगोदाम से इसे आरंभ करते हैं तो कम से कम एक सप्ताह का समय लेकर करें। चूकि इस क्षेत्र में आक्सीजन की कमी होती है इसलिए भी बेहतर है कि आप दूसरे स्थानों का भ्रमण अपने इस यात्रा कार्यक्रम में शामिल करें। काठगोदाम के बाद आप कैची धाम, कसार देवी, जागेश्वर, सोनसिलिंग, पताल भुवनेश्वर, चकौड़ी,काकड़ी घाट तो देखेंगे ही साथ जब आप कैलाश क्षेत्र में पहुंच जाएंगे तो वहां पर भी कई ऐसे स्थान है जो आपको वापस आने से रोकेंगे। इनमें काली मंदिर,पांडव पर्वत,शेषनाग पर्वत,लिपुलेख दर्रा,गुंजी तथा ओम पर्वत खास हैं।
खर्च और विशेष सावधानियां: आदि कैलाश के लिए पंजीकरण अनिवार्य है। इसलिए आप अगर यहां जा रहे हैं तो केएमवीएन या प्राइवेट टूर आपरेटर से पूरी तरह जानकारी करके ही जाएं। इस यात्रा के लिए यात्रियों की आयु 10 से 70 वर्ष है अत: आप उस आधार को ना भूलें। यहां पर आक्सीजन की कमी रहती है इसलिए दमा, हार्ट या लंगस की समस्या से जुझ रहे हैं तो ना ही जाएं। साथ में जो आपकी नियमित दवाएं हैं उन्हें सबसे पहले रखें। जहां तक खर्च का प्रश्न है तो यह टूर आपरेटर के ऊपर है, परंतु केएमवीएन ने इस बार इसके लिए कम से कम चलीस हजार रुपए प्रति व्यक्ति रखा है।