गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन सेंटर केरवा भोपाल के छह केप्टिव ब्रीडिंग गिद्धों को छोड़ा गया प्राकृतिक रहवास हलाली डेम के वन क्षेत्र में

भोपाल। वन विभाग द्वारा गिद्ध संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की गई है। लुप्तप्राय गिद्ध प्रजातियों को बचाने और उनके संरक्षण के लिए गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन सेंटर केरवा भोपाल के 6 केप्टिव ब्रीडिंग गिद्धों को प्राकृतिक रहवास हलाली डेम के वन क्षेत्र में छोड़ा गया। इनमें 2 सफेद पीठ वाले गिद्ध एवं 4 लम्बी चोंच वाले गिद्धों को मुक्त किया गया।

गिद्धों के पहले समूह को प्राकृतिक रहवास हलाली डेम के वन क्षेत्र में छोड़ने के अवसर पर अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य-जीव श्री एल. कृष्णमूर्ति, संचालक वन विहार राष्ट्रीय उद्यान श्री मीना अवधेश कुमार शिव कुमार, सहायक संचालक वन विहार श्री संदेश माहेश्वरी, बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी मुम्बई के प्रतिनिधि, उप संचालक डॉ. सुजीत नरवड़े, डॉ. सरवन सिंह राठौर, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, डॉ. सेमसन, गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केन्द्र केरवा भोपाल श्री संजय परिहार, विश्व प्रकृति निधि भारत की प्रतिनिधि श्रीमती संगीता सक्सेना, श्री अजय मिश्रा और रायसेन वन मण्डल के अधिकारी उपस्थित थे।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव शुभरंजन सेन ने बताया कि मुक्त किए गए सभी गिद्धों पर ऑर्निट्रैक-25 सौर ऊर्जा चलित जीपीएस-जीएसएम ट्रैकर लगाए गए हैं। इसके माध्यम से उनके आवागमन के पैटर्न और आवास उपयोग की निगरानी की जा रही है। सेन ने बताया कि डायरेक्टर टेक फॉर कंजर्वेशन जी. अरेन्द्रन, विश्व प्रकृति निधि भारत द्वारा गिद्धों को ऑर्निट्रैक-25 सौर ऊर्जा चलित जीपीएस-जीएसएम ट्रैकर लगाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सेन ने कहा कि हलाली डेम के आसपास की बस्तियों में टैग किए गए गिद्धों की सुरक्षा एवं जागरूकता के लिए पर्चे बांटे गए हैं। इनमें आम लोगों से अपील की गई है कि अगर गिद्ध घायल होते हैं या उन्हें कोई नुकसान पहुंचता है, तो वे तत्काल वन विभाग को सूचित करें।

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