‘गुलाबी नगरी’: परंपरा, स्थापत्य व आधुनिकता का अद्भुत संगम

टीम एनएक्सआर जयपुर। 18 नवंबर 1727 को सवाई जयसिंह द्वितीय ने इस अद्भुत शहर की नींव रखी। जयपुर, जिसे गुलाबी नगरी और पिंक सिटी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के पहले योजनाबद्ध शहरों में से एक है। वास्तुशास्त्र और शिल्पशास्त्र के सिद्धांतों पर आधारित यह शहर अपनी ऐतिहासिक धरोहर और सांस्कृतिक विविधता के लिए प्रसिद्ध है।

जयपुर का स्थापत्य एक अद्वितीय वैज्ञानिक सोच को दर्शाता है। नौ खंडों में विभाजित यह शहर, नवग्रह सिद्धांतों से प्रेरित है, जो इसे सकारात्मक ऊर्जा और संतुलन प्रदान करते हैं। इसे बंगाल के प्रसिद्ध वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य की देखरेख में विकसित किया गया। चौड़ी सड़कें, सुव्यवस्थित बाजार, और मजबूत किलेबंदी इस शहर की उत्कृष्ट योजना का प्रमाण हैं।

1876 में प्रिंस ऑफ वेल्स के स्वागत के लिए इसे गुलाबी रंग में रंगा गया, जिससे इसे ‘गुलाबी नगरी’ का नाम मिला। यह शहर अपने ऐतिहासिक स्थलों जैसे हवा महल, जंतर मंतर, आमेर किला, जल महल और सिटी पैलेस के लिए विश्वभर में जाना जाता है।

जयपुर का सांस्कृतिक पक्ष भी उतना ही समृद्ध है। यहां की संगीत परंपरा, जैसे जयपुर-अतरौली घराने का ध्रुपद संगीत, और कत्थक नृत्य की जयपुर शैली, इसकी सांस्कृतिक गहराई को दर्शाते हैं। घूमर और कालबेलिया जैसे लोक नृत्य राजस्थान की परंपराओं को जीवंत बनाए रखते हैं।

फोर्ट ऑफ फ्रेंड्स के फाउंडर संजय कौशिक का कहना है कि यह शहर न केवल ऐतिहासिक धरोहरों और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र है, बल्कि इसे ‘शॉपर्स पैराडाइज’ भी कहा जाता है। ज्वैलरी, बंधेज, लहरिया, जयपुरी रजाई, हाथ से बने जूते, संगमरमर की मूर्तियां और पारंपरिक हस्तकला के लिए यहां के बाजार पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं।

जयपुर का खानपान भी अनोखा है। दाल-बाटी-चूरमा, घेवर, फीणी, मिर्ची बड़ा जैसे व्यंजन यहां के सांस्कृतिक रस को दर्शाते हैं। त्योहारों की बात करें तो तीज, गणगौर, मकर संक्रांति, दीपावली, होली और जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल इसे और भी रंगीन और जीवंत बनाते हैं।

गुलाबी नगरी की खासियत है कि यहां परंपरा और आधुनिकता का खूबसूरत सामंजस्य है। पुरानी हवेलियों और चौपड़ बाजार की ऐतिहासिक छटा के साथ-साथ नए मॉल और कैफे आधुनिक जीवनशैली का अनुभव कराते हैं। जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर इसे निवेशकों और पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाते हैं।

संजय कौशिक ने कहा कि जयपुर का हर कोना इसकी समृद्ध संस्कृति, गौरवशाली इतिहास और भविष्य की असीम संभावनाओं का प्रतीक है। राजस्थान की राजधानी, गुलाबी नगरी, न केवल अपनी स्थापत्य कला और सांस्कृतिक धरोहर से गर्वित है, बल्कि इसे भारत का शान भी माना जाता है।

गुलाबी नगरी व यहां के बाशिंदों को शहर के 297वें स्थापना दिवस पर ढेरों शुभकामनाएं!

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