टीम एनएक्सआर जयपुर। प्रदेश के पर्यटन स्थल इतिहास, बनावट, स्थापत्य कला सहित अन्य विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। इस बीच पर्यटकों को इस बात की हैरानी होगी कि आमेर आमेर महल में मथुरा, वृन्दावन, अयोध्या और हरिद्वार चित्रकारी के रूप में बसे हैं। महल के भोजनशाला वाले हिस्से में इनकी चित्रकारी देखने को मिलेगी। मिर्जा राजा जयसिंह ने करीब 16वीं शताब्दी में इन्हें बनवाया था। इन जगहों की चित्रकारी में उस समय के बने घाट, मंदिरों सहित अन्य चीजों को दर्शाया गया था। इन्हें बनाने के लिए दीवार पर पानी डालकर उसे गीला करने के बाद पेंटिंग्स बनाई गई। साथ ही प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया गया। उस समय बनाई गई चित्रकारी में अयोध्या का पूरा दृश्य दर्शाया गया था। जिसमें सरयू नदी को बहते हुए दिखाया गया। यानि एक तरह से 16वीं सदी में मथुरा, वृन्दावन, हरिद्वार और अयोध्या जैसे दिखते थे, ठीक वैसी ही चित्रकारी उस समय की गई थी। इस जगह पर्यटकों को जाने की अनुमति नहीं है।
भोजनशाला में बनाई गई थी ये चित्रकारी
आमेर महल के भोजनशाला वाले भाग में 16वीं सदी में विष्णु जी के कई अवतारों को चित्रकारी के माध्यम से दर्शाया गया था। जो आज भी सही अवस्था में है। अधिकारियों के अनुसार इस तरह की पेटिंग को अंग्रेजी में मोनोक्रम और राजस्थानी भाषा में शाह कलम पेटिंग कहते हैं। इसमें विष्णु जी के करीब 24 अवतारों को दर्शाया गया है।
फ्रेस्को ब्यूनो में भी बनी चित्रकारी
भोजनशाला में अन्य पेटिंग्स फ्रेस्को ब्यूनो में बनी है। राजस्थानी भाषा में इस पद्धति को आला गीला कहते हैं। इस तरह की पेंटिंग को बनाते समय पहली लेचर में मार्बल पाउडर और चूने को मिक्स करते हैं। इसके बाद इन दोनों को करीब 6 माह तक भीगा कर रखा जाता है। ताकि इनकी गर्मी निकल जाए। पेंटिंग में शायनिंग लाने के लिए दही, गुड, गुगल और मेथी का पानी डालते है। इसके बाद चूने के पानी की लेयर लगाते हैं। पेटिंग के सूखने के याद अकीक के पत्थर से घिसाई करते हैं।
इनका कहना…..
आमेर महल के भोजनशाला में बनी यह पेंटिंग्स 16वीं सदी में मिर्जा राजा जयसिंह ने बनवाई थी। जिन्हें प्रोत्यो सेको, फ्रेस्को ब्यूनो पद्धति से बनाया गया था। समय समय पर पुरातत्व विभाग की ओर से पेटिंग्स का रिस्टोरेशन कार्य करवाया जाता है। ताकि इनकी सुंदरता बनी रहे।
डॉ राकेश छोलक, अधीक्षक, आमेर महल