यह सूर्यग्रहण पोलिनेशिया (हवाई द्वीप), पश्चिमी मेक्सिको, गलापागोश आइसलैण्ड, दक्षिणी अमेरिका व अंटार्कटिका में देखा जा सकेगा
जयपुर। इस वर्ष का अंतिम ग्रहण 2 से 3 अक्टूबर को भारतीय मानक समय के अनुसार रात्रि 10:23:06 बजे से मध्य रात्रि 02:06:02 बजे तक होगा। यह कंकणाकृति सूर्यग्रहण होगा। कंकणाकृति सूर्यग्रहण एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना होती है। सूर्यग्रहण तब होता है जब चन्द्रमा सूर्य तथा पृथ्वी के मध्य होता है।
उज्जैन स्थित शास. जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ.राजेंद्र प्रकाश गुप्त ने बताया कि हम जानते हैं कि चन्द्रमा दीर्घवृत्ताकार कक्षा में पृथ्वी की परिक्रमा करता है। जिससे वह कभी पृथ्वी के पास की स्थिति में होती है तो कभी पृथ्वी से दूर। कंकणाकृति ग्रहण की स्थिति तब होती है, जब चन्द्रमा पृथ्वी से दूर की स्थिति में सूर्य तथा पृथ्वी के मध्य होता है। चन्द्रमा पृथ्वी के दूर होने के कारण उसका आकार तुलनात्मक रूप से छोटा दिखाई देता है। जिस कारण वह सूर्य को पूर्णरूप से नहीं ढंक पाता है तथा उस स्थान विशेष से हमें सूर्य के चारों ओर कंगन या वलय जैसी आकृति दिखाई देती है। इस सूर्यग्रहण को कंकणाकृतिः सूर्यग्रहण कहते हैं।
डॉ.राजेंद्र प्रकाश गुप्त ने बताया कि कंकणाकृति सूर्यग्रहण का प्रारम्भ 2 अक्टूबर को भारतीय मानक समय के अनुसार रात्रि 10:23:06 बजे से होगा। पूर्णता की स्थिति मध्य रात्रि को 00:15:00 बजे पर होगी। इस समय सूर्य का 93 प्रतिशत भाग चन्द्रमा के द्वारा ढ़क लिया जाएगा। यह एक दुर्लभ नजारा होगा। कंकणाकृति की अवधि 7 मिनट 21 सेकण्ड तक होगी। मोक्ष की स्थिति 3 अक्टूबर को मध्य रात्रि में 02:06:02 बजे पर होगी। भारत में इस समय रात्रि होने के कारण यह कंकणाकृति सूर्यग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा। यह सूर्यग्रहण पोलिनेशिया (हवाई द्वीप), पश्चिमी मेक्सिको, गलापागोश आइसलैण्ड, दक्षिणी अमेरिका व अंटार्कटिका में बहुत अच्छी प्रकार से देखा जा सकेगा।