शुक्रवार को ‘गुड्डी एंड सिटी ऑफ अनबॉर्न किड्स’ का मंचन
जयपुर। ‘क्यों कोई स्त्री कर डालती है किसी की हत्या और पहुंच जाती है जेलखाने में? क्या होता है जेलखाने के अंदर रहने वाली औरतों का हाल? कैसे जेल का स्टाफ हो जाता है बंदी महिलाओं के प्रति संवेदनशील? कैसे सामने आती हैं जेल में बंद महिलाओं की दास्तान? ऐसे ही सवालों का जवाब है कवि-कथाकार – नाटककार प्रेमचंद गांधी का लिखा नाटक ‘गाथा बंदिनी’, जिसे गुरुवार शाम जवाहर कला केन्द्र के रंगायन सभागार में मंचित किया गया। नाटक के माध्यम से महिला शोषण के विभिन्न आयामों को प्रस्तुत किया गया। शुक्रवार शाम तपन भट्ट द्वारा लिखित डॉ. सौम्या भट्ट के निर्देशन में नाटक ‘गुड्डी एंड सिटी ऑफ अनबॉर्न किड्स’ का मंचन होगा।
नाटक मुख्यत: ऐसी चार महिला कैदियों की कहानियों का कोलाज है, जिन्हें हालात ने हत्यारी बनाकर जेल पहुंचा दिया। एक युवती है सोमा, जो अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते एक सेठ की हत्या कर डालती है। दूसरी महिला है चण्डी, जिसकी मासूम बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या हो जाती है, तो वह दुष्कर्मी के लिए सच में ही चण्डी का रूप धारण कर दुष्कर्मी की जान ले लेती है। एक लड़की है गीता, जिसे उसके पिता राजनीतिक करियर की चाह में एक ढोंगी बाबा के आश्रम में पहुंचा देते हैं। इन किरदारों के साथ जेल में चलने वाली अन्य गतिविधियों और महिलाओं के शोषण से जुड़े अनेक प्रसंगों को जेलकर्मी स्टाफ और जेलर के संवादों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।
मुख्य कलाकारों में भगवन्त कौर ने जेलर, मीरा सक्सेना और उमा गौतम ने जेलकर्मी की भूमिका निभाई। वहीं सोमा के रूप में मीनाक्षी शर्मा, शनीचरी के किरदार में सरस्वती, गीता के रूप में शिखा पारीक और चण्डी की भूमिका में नन्दिनी पंजवानी ने सशक्त अभिनय किया। बाबा के रूप में मोहन लाल गोयल, चण्डी की बेटी की भूमिका में वंशिका, मुखिया के रूप में विजय स्वामी, सोमा के पिता की भूमिका में मनोज अडवाणी, पटवारी की भूमिका में जे.पी. चोपड़ा, सोमा की मां के रूप में विनीता व्यास, गीता की मां के रूप में हर्षा पंजाबी तथा शनीचरी के पति की भूमिका में जे.के. झुरानी ने और सोमा के भाइयों के रूप में युवराज यादव और तन्मय जैन ने सशक्त अभिनय किया। नाटक में प्रकाश व्यवस्था राजेंद्र शर्मा ‘राजू’, मंच सज्जा युवराज यादव और तन्मय जैन, संगीत व्यवस्था सुमित चेची की रही और रूप-सज्जा राधेश्याम बांका की थी।