राजस्थान में पहली बार संरक्षित क्षेत्रों में तेंदुओ के वैज्ञानिक आकलन पर व्यापक प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ

जयपुर। राजस्थान में कैमरा ट्रैप पद्धति के माध्यम से राज्य के संरक्षित क्षेत्रों में तेंदुओ के वैज्ञानिक आकलन पर केंद्रित अपनी पहली व्यापक प्रशिक्षण कार्यशाला की शुरुआत की है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक शिखा मेहरा की अध्यक्षता में राजस्थान के वन्यजीव अभयारण्यों, कंजरर्वेशन रिजर्व और टाइगर रिजर्वर्ट्स में वन्यजीव निगरानी के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल है।

तेंदुआ निगरानी में मौजूदा खामियों को दूर करने के लिए, राजस्थान वन विभाग ने राज्यव्यापी तेंदुआ आकलन अध्ययन हेतु भारतीय वन्यजीव संस्थान #WII के साथ साझेदारी की है। #WII के टाइगर सेल के डॉ. अयान साधु ने अपनी विशेषज्ञ टीम के साथ कार्यशाला में विस्तृत तकनीकी सत्रों का नेतृत्व किया। इन सत्रों में कैमरा ट्रैपिंग, मांसाहारी चिन्ह सर्वेक्षण, लाइन ट्रांसेक्ट्स और आवास प्लॉट आकलन जैसी महत्वपूर्ण कार्यप्रणालियों को शामिल किया गया, जिससे आगामी गणना के लिए कठोर वैज्ञानिक मानकों को सुनिश्चित किया जा सके।

राज्य स्तरीय कार्यशाला में अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव), जयपुर राजेश गुप्ता एवं संरक्षित क्षेत्रों के सभी मुख्य वन संरक्षक (CCF) और उप वन संरक्षक (DCF) उपस्थित रहे। संभागवार प्रशिक्षण 24 जुलाई को भरतपुर एवं कोटा वृत्तों के लिए सवाई माधोपुर में, 28 जुलाई को उदयपुर एवं जोधपुर वृत्त के लिए उदयपुर में तथा 31 जुलाई को अजमेर, जयपुर, सरिस्का एवं बीकानेर वृत्त हेतु जयपुर में प्रारंभ होगा। कैमरा ट्रैप फील्ड अभ्यास अक्टूबर से शुरू होगा।

इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य तेंदुआ निगरानी प्रोटोकॉल का मानकीकरण और फील्ड टीमों के तकनीकी कौशल को उन्नत करना था, जिससे राजस्थान में पहली बार राज्यव्यापी वैज्ञानिक तेंदुआ गणना का मार्ग प्रशस्त हो सके। कैमरा ट्रैप्स और वैज्ञानिक मॉडलों के समावेशन से तेंदुआ जनसंख्या और शिकार घनत्व पर अधिक सटीक डेटा प्राप्त होने की अपेक्षा है, जो टाइगर रिजर्ट्स से परे लक्षित संरक्षण प्रयासों का समर्थन करेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!