द्वादश ज्योतिर्लिंग प्राकट्य कथा से शिवमय हुआ माहौल

जयपुर। श्री शिव महापुराण कथा समिति की ओर से आयोजित बनीपार्क में शिव महापुराण कथा में गुरुवार को आठवें दिन संतोष सागर महाराज ने द्वादश ज्योतिर्लिंग प्राकट्य कथा का वाचन किया। संतोष सागर महाराज ने प्रत्येक ज्योतिर्लिंग के पौराणिक इतिहास को सुनाते हुए वहां के महत्व को भी बताया।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग माहात्म्य में चंद्रमा की शिव उपासना, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में भगवान कार्तिकेय की कथा, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग माहात्म्य में चंद्रभानु नामक राक्षस को नष्ट करने के लिए भगवान शिव का महाकाल रूप में प्रकट होना, ओंकारेश्वर में विन्ध्य पर्वत की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव का ओंकार रूप में दर्शन, केदारनाथ में पांडवों को मुक्ति का मार्ग दिखाकर भोलेनाथ का केदारेश्वर रूप में प्राकट्य, भीमाशंकर में भीम नाम के राक्षस के अंत के लिए भगवान शिव का प्राकट्य, काशी विश्वनाथ भगवान शिव की नगरी है, इस स्थान का वे कभी त्याग नहीं करते।


संतोष सागर ने कथा वाचन में बताया कि त्र्यंबकेश्वर में गौतम ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यहां गौतमी को प्रवाहित किया और स्वयं त्र्यंबकेश्वर के रूप में स्थापित हुए।
वैद्यनाथ में भगवान शिव के चिकित्सक रूप को दर्शाता है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग रक्षक रूप में पूजनीय है, जहां शिव ने एक भक्त की रक्षा की थी। रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग की स्थापना भगवान राम ने लंका विजय से पूर्व की। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव अपनी भक्ति से प्रसन्न होकर प्रकट हुए।

समिति के महामंत्री अरुण खटोड़ ने बताया कि कथा पांडाल में द्वादश ज्योतिर्लिंग के चित्र और इनके प्राकट्य की कथा को चित्रित किया गया। कथा श्रवण के लिए जयपुर शहर सांसद मंजू शर्मा, महामंडलेश्वर पुरुषोत्तम दास, गलता पीठ के महंत अवधेशाचार्य, मुकेश पारीक, अजय यादव, समिति के पदाधिकारी गोपाल मोदी, प्रकाश माहेश्वरी, त्रिलोक खंडेलवाल, सोमकांत शर्मा, हरीश बागड़ी, बाल किशन शर्मा, सुरेंद्र नरूका, सुनील टॉक कार्यकर्ता, श्रोता उपस्थित रहे।

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