जयपुर। रचनात्मक शिक्षा की पुनर्कल्पना और मानसिक कल्याण को प्राथमिकता देने की दिशा में एक कदम के रूप में, महाराजा सवाई मान सिंह (एमएसएमएस) द्वितीय संग्रहालय ट्रस्ट द्वारा आर्च कॉलेज ऑफ डिजाइन एंड बिजनेस के सहयोग से, अनमास्किंग द आर्टिस्ट विथ इन विषय पर पहली आर्ट थेरेपी कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला मेंटल हैल्थ एंड वैलबींग प्रोजेक्ट की चल रही श्रृंखला का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य कला के माध्यम से शिक्षकों को सशक्त बनाना और इमोशनल वैलनेस को बढ़ावा देना है।
आर्च कॉलेज ऑफ डिजाइन एंड बिजनेस में आयोजित इस कार्यशाला में जयपुर के 44 अग्रणी स्कूलों के 86 आर्ट एंड डिजाइन शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जो शहर के कला शिक्षा समुदाय के लिए अपनी तरह का पहला आयोजन था।

इस सत्र का संचालन आर्च कॉलेज की संस्थापक, अर्चना सुराणा ने किया, जिन्होंने प्रतिभागियों को रचनात्मकता, आत्म-चिंतन और जुड़ाव की एक गहन यात्रा के माध्यम से मार्गदर्शन किया। कार्यशाला की शुरुआत 15 मिनट के अनापान मेडिटेशन सत्र से हुई, जिसमें ध्यान और एकाग्रता पर ध्यान केंद्रित किया गया।
इसके बाद प्रतिभागियों को मुख्य विषय, ‘अनमास्किंग द आर्टिस्ट विथ इन’ से परिचित कराया गया, जिसमें बताया गया कि किस प्रकार प्रामाणिकता, कल्पनाशीलता और भावनात्मक जागरूकता कला शिक्षा को रूपांतरित कर सकती है। क्रिएटिव सेरेन्डिपिटी नाम से एक सहयोगात्मक गतिविधि में, शिक्षकों ने अपनी क्षमताओं पर विचार किया, तथा ऊन के धागों के माध्यम से संबंधों का एक प्रतीकात्मक जाल बुना, जिसमें सहानुभूति और साझा अनुभव के प्रभाव पर प्रकाश डाला गया।
इसके बाद शिक्षकों ने बची हुई डिजाइन सामग्री का उपयोग करके मास्क-मेकिंग एक्सरसाइज शुरू की। दो तरफा मास्क बनाए जो एक ओर दुनिया को दिखाई देने वाला चेहरा दर्शाते थे और दूसरी ओर व्यक्ति के आंतरिक स्वरूप को प्रकट करते थे। कार्यशाला का समापन टी-शर्ट पेंटिंग और मास्क पहनकर रचनात्मक रैंप वॉक के साथ हुआ।
समापन पर अर्चना सुराणा ने कहा कि यह कार्यशाला हमारे उस विश्वास और मिशन के साथ गहराई से जुड़ी हुई है, जिसमें हम मुख्यधारा की शिक्षा में डिज़ाइन संस्कृति को बढ़ावा देने और मानसिक स्वास्थ्य को महत्व देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वहीं, इस अवसर पर एमएसएमएस द्वितीय म्यूजियम ट्रस्ट के डायरेक्टर, एज्युकेशन, संदीप सेठी ने कहा कि ये शिक्षक इस अनुभव और सीख को अपने कक्षाओं में लेकर लौटेंगे, जहां वे बच्चों को हाथियों को नीले रंग में और पहाड़ों को इंद्रधनुषी रंगों में रंगने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।