जेजेएस के तीसरे दिन करीब 20 हजार से अधिक विजिटर्स ने की शिरकत
नेटवर्किंग डिनर में दिए गए पुरस्कार , बेस्ट बूथ व महिला उद्यमियों को किया सम्मानित
सोमवार को होगा जैम्स व ज्वैलरी के महाकुंभ का समापन
टीम एनएक्सआर जयपुर। जयपुर एग्जीबिशन एंड कन्वेंशन सेंटर (जेईसीसी) में आयोजित जयपुर ज्वैलरी शो (जेजेएस) के तीसरे दिन रविवार को लगभग 20 हजार से ज्यादा विजिटर्स ने शिरकत की। इससे यहां उपस्थित सभी एग्जीबिटर्स काफी उत्साहित नजर आए। उनका कहना था कि इस वर्ष का शो पिछले सभी संस्करणों से कहीं अधिक सफल और व्यापारिक दृष्टिकोण से लाभकारी साबित हुआ है। गोल्ड की कीमतें लगातार बढ़ने से विजिटर्स में इस बार लाइटवेट ज्वैलरी के प्रति विशेष रुझान देखने को मिला। ब्राइडल ज्वैलरी के प्रति भी काफी क्वेरीज इर्ज की गई। ओपन सेटिंग में नए इनोवेशंस के साथ कुंदन मीना ज्वैलरी और ट्रेडिशनल परब पोल्की भी काफी पसंद की जा रही है।
रविवार को ‘द जयपुर एडवांटेज: वॉट सेट्स दिस ज्वैलरी हब अपार्ट’ विषय पर सेशन हुआ। जिसमें जयपुर के ज्वैलर्स ने चर्चा की, कि भारत के सबसे अनोखे और सबसे लोकप्रिय आभूषण केंद्र के रूप में जयपुर शहर पूरे विश्व में आकर्षण का केंद्र क्यों है। इसका आयोजन जेजेएस में जयपुर ज्वैलरी डिजाइन फेस्टिवल (जेजेडीएफ) के अंतर्गत ‘अनकट: अनफिल्टर्ड डायलॉग्स’ में किया गया। सत्र के पैनलिस्टों में भूरामल राजमल सुराणा से चंद्र सुराणा, सुनीता शेखावत, बिरधीचंद घनश्यामदास से यश अग्रवाल, आम्रपाली से तरंग अरोड़ा और एक्सक्विजिट फाइन ज्वैलरी से अंजू जैन शामिल थे। सत्र का संचालन जेजेएस के संयुक्त सचिव अजय काला ने किया।
जयपुर ज्वैलरी में स्टोरी टेलिंग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, सुनीता शेखावत ने मीनाकारी की उत्कृष्ट कला और मीनाकारी की शुरुआत के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि कैसे जयपुर ने गुलाबी मीनाकारी के लिए विश्व में अपनी पहचान बनाई। यह एक ऐसा शिल्प है जो स्टोरी टेलिंग की शक्ति और इन कहानियों की निरंतर व्याख्या और पुनर्रचना के माध्यम से उन्नत हुआ है। हालांकि गुलाबी मीनाकारी की शुरुआत जयपुर में नहीं हुई, लेकिन उन्होंने बताया कि यह शहर की पहचान से से अभिन्न रूप से जुड़ गया है।
जयपुर के आभूषणों को वैश्विक मंच पर बढ़ावा देने की बात करते हुए, यश अग्रवाल ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में आभूषणों और डिजाइनों को प्रस्तुत करते समय एक प्रभावी और दिलचस्प कहानी को प्रस्तुत करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पारंपरिकता और नवाचार के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है, ताकि वैश्विक बाजार की बदलती मांगों को पूरा करते हुए जयपुर की समृद्ध धरोहर को संरक्षित रखा जा सके।