कार्यक्रम में राजस्थानी कवियों ने ढुंढाड़ी भाषा में सुंदर काव्य पाठ से बांधा समां
महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर विद्वानों ने साझा किए विचार
टीम एनएक्सआर जयपुर। जयपुर के संस्थापक, महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय की जयंती के उपलक्ष में रविवार को सिटी पैलेस के सर्वतोभद्र चौक में व्याख्यान एवं काव्य पाठ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विद्वानों ने महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला और राजस्थानी कवियों ने ढुंढाड़ी भाषा में सुंदर काव्य पाठ से समां बांध दिया। कार्यक्रम की शुरुआत महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय की तस्वीर पर सामने पुष्पांजलि अर्पित करने और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। कार्यक्रम का आयोजन महाराजा सवाई मान सिंह (एमएसएमएस) द्वितीय संग्रहालय और संग्रहालय के चेयरमैन, पद्मनाभ सिंह की पहल पर हुआ।
इस अवसर पर एमएसएमएस द्वितीय संग्रहालय की कार्यकारी ट्रस्टी, रमा दत्त ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि यह हम सभी के लिए गर्व का विषय है कि महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा बसाए गए जयपुर शहर को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज सिटी के रूप में पहचान मिली है। महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय एक असाधारण व्यक्तित्व थे, जिन्हें एस्ट्रोनॉमी, गणित, ज्योतिष, वास्तुकला और खगोल विज्ञान का अद्भुत ज्ञान था। उन्होंने अपनी राजधानी जयपुर सहित भारत के कई स्थानों पर जंतर मंतर ऑब्जर्वेटरीज का निर्माण भी कराया। संस्कृत कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रिसिंपल, सुभाष चंद्र शर्मा ने महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय के इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से 11 वर्ष की अल्प आयु में महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने राज्यभार संभाला था और उन्हें औरंगजेब से ‘सवाई’ की उपाधि मिली थी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सवाई जयसिंह द्वितीय पहले ऐसे शासक थे, जिन्होंने 105 कुंडीय यज्ञ सम्पन्न कराया था।
वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार, जितेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि पृथ्वी राज चौहान के बाद महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय पहले ऐसे राजा थे जिन्होंने हिंदू धर्म को आगे बढ़ाने के लिए सभी हिंदू शासकों को एक साथ लाने का प्रयास किया। उन्होंने यह भी बताया कि जयपुर के संस्कृत साहित्य संरक्षण और वैदिक विद्वानों पर एक पुस्तक लिखी गई है, जिसका जल्द ही विमोचन किया जाएगा। सिटी पैलेस के कला एवं संस्कृति, ओएसडी, एवं वैदिक चित्रकार रामू रामदेव ने अपने द्वारा चित्रों के माध्यम से महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय की जीवनी, जंतर-मंतर और अश्वमेध यज्ञ पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि महाराजा सवाई जयसिंह कला प्रेमी थे और उन्होंने देश भर से कलाकारों को जयपुर में लाकर बसाया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने उनकी कला के नाम से मोहल्ले भी बनवाए और उनकी आजीविका की व्यवस्था भी की। कार्यक्रम का संचालन शोभा चंदर ने किया।
ढुंढाड़ी भाषा को प्रोत्साहन देने के उदेश्य से आयोजित काव्य पाठ में राजस्थान के जाने-माने कवियों ने हिस्सा लिया, इनमें गोपीनाथ गोपेश, कल्याण सिंह शेखावत, गोविंद शंकर, भगवान सहाय पारीक, प्रह्लाद चंचल, किशोर पारीक, सुशीला शर्मा, अभिलाषा पारीक, कामना राजावत, रितेश शर्मा, सुमन प्रकाश, विनय कुमार सहित अन्य गणमान्य कवियों ने काव्य पाठ किया। कवियों ने अपनी अपनी कविताओं के माध्यम जयपुर की परंपरा, संस्कृति और इतिहास से दर्शकों को रु-ब-रु कराया।
साहित्यकार गोविंद शंकर शर्मा ने अपने उद्बोधन में बताया कि सवाई जयसिंह के समय में लिखे गए सबसे विश्वसनीय ग्रंथ ‘वचन प्रमाण’ में विस्तार से उनके कार्यकाल का वर्णन है। इस ग्रंथ में तीन हजार से अधिक दोहे लिखे गए हैं। उन्होंने महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय की जनसंरक्षण प्रणाली पर भी प्रकाश डाला।